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ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट : आठ हजार करोड़ जुटाएगी सरकार, राज्य में औदयोगिक निवेश को बढ़ाने की तैयारी, आयोजन अक्टूबर से दिसंबर के बीच

बिगुल
रायपुर. छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में निवेश का सपना साकार नहीं हो पाया. अब विष्णुदेव साय की सरकार के दिशा-निर्देशों के बाद उद्योग विभाग ने निवेश बढ़ाने के लिए रणनीति बनाई है कि प्रदेश में फिर से ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया जाएगा. निवेश को बढ़ावा देने के लिए आने वाले पांच वर्ष तक लगातार इन्वेस्टर्स मीट के आयोजन की रूपरेखा तैयार की जा रही है. जिसके बाद प्रदेश में सियासत का एक और दौर शुरू हो गया है.

उद्योगों को बढ़ावा देना सरकार का लक्ष्य
छत्तीसगढ़ में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर मीट करने जा रही है. जिसके लिए दूसरे राज्यों में इन्वेस्टर्स मीट के तौर- तरीके सहित आयोजनों को लेकर उद्योग विभाग की एक टीम दौरा भी करेगी. संभवतः इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन अक्टूबर से दिसंबर के बीच हो सकता है. ग्लोबल कम्पनियों के निवेश से प्रदेश की जीडीपी में बढ़ोतरी भी देखने को मिलेगी.

इसे लेकर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि इन्वेस्टर के लिए प्रमोशन का माहौल बनाने सरकार संकल्पबद्ध है. आने वाले 5 साल में जीडीपी को 5 लाख करोड़ से 10 लाख करोड़ तक बनाने के लिए संकल्पबद्ध है. पिछली सरकार के समय भ्रष्टाचार ज्यादा हुआ. इन्वेस्टर को प्रताड़ित करने का काम करते थे.

कांग्रेस सरकार ने इन्वेस्टर्स मीट में कृषि, खनिज, हैवी इंजीनियरिंग, फेब्रिकेशन और ग्रीन एनर्जी को शामिल किया था. निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत निर्णयों, अनुदानों, रियायतों की घोषणाएं भी की गई. तैयारियों में 107 करोड़ के लगभग राशि खर्च किया गया, लेकिन उम्मीदों के अनुरूप सफलता नहीं मिली.

इन्वेस्टर्स मीट के लिए अमेजन, ओला इलेक्ट्रिक, माइक्रोसाफ्ट सहित 300 से ज्यादा कंपनियों ने पंजीयन कराया था, लेकिन छूट व घोषणाओं पर काम हुआ नहीं. इसकी वजह से कंपनियों ने भी मुंह फेर लिया. अब बीजेपी की सरकार नए सिरे से ग्लोबल कम्पनियों पर फोकस करने जा रही. जिसे लेकर सियासत भी तेज है.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि सरकार के पास प्रदेश के हित मे कोई विजन नहीं है. जो उन कम्पनियों को छत्तीसगढ़ में आने के बाद लाभ मिल सके. सिर्फ छत्तीसगढ़ ही क्यों देश की बात कर लीजिए. 10 सालों में कितनी कम्पनी देश मे बाहर से आई. बिल्कुल भी इन 10 सालों में नहीं आई. देश के लोग भारत छोड़कर चले गए. क्योकि वह लोग देश मे अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं. इस सरकार में कोई भी इन्वेस्टर सुरक्षित नहीं है.

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