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Exclusive : 101 करोड़ खर्च कर बनाया स्टेडियम, खेल-खिलाड़ियों को तरसा, एथलीट मैदान में लगे घास-फूस, हॉकी के मैदान में पवेलियन ही नही

एथलीट मैदान में घास फूस और झाड़-झंकड़ के अलावा जगह-जगह टाइल्स टूटी पड़ी हुई है. साथ ही कई तरह का और अभाव है. तीरंदाजी के खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें जुगाड़ के सहारे तीरंदाजी के गुर सीखने पड़ रहे हैं. विशेष बातचीत में हुई मुखर होकर अपनी समस्या बता रहे हैं. उनका कहना है कि स्टेडियम में जहां उन्हें जगह दी गई है वहां कई तरह की समस्या है. खाने पीने के अलावा वॉशरूम की सबसे बड़ी दिक्कत है. यही नहीं साधन और संसाधनों के अभाव में उन्हें प्रैक्टिस करना पड़ रहा है.

कैसे तैयार होंगे खिलाड़ी
खेल विभाग के अधिकारी इस बात को लेकर कठघरे में आ गए हैं कि आखिर में नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ी ऐसे हालात में कैसे तैयार करेंगे जबकि इस स्टेडियम को तैयार करने का सबसे बड़ा मकसद यही था. दूसरी तरफ अफसर बजट नहीं होने की बात कह कर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं. यही कारण है कि इतना खर्च कर तैयार किया गया है, स्टेडियम बर्बादी की तरफ जा रहा है.
हॉकी स्टेडियम में पवेलियन नहीं कहां बैठेंगे दर्शक

बिलासपुर में सबसे बड़ी मांग हॉकी स्टेडियम को लेकर सामने आई थी. यहां लगभग 40 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर दिए गए हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हॉकी स्टेडियम में ना तो पवेलियन बनाया गया है, और ना ही किसी तरह की लाइट का इंतजाम है. यही कारण है कि यहां इस बात की मांग उठ रही है. लोगों का कहना है कि यहां फ्लड नाइट मैच नहीं हो सकता क्योंकि बिजली नहीं है, यही कारण है कि वे यहां फ्लड लाइट की मांग कर रहे हैं. पवेलियन जैसे मुद्दे उठा रहे हैं.

झाड़ियां को साफ करने के लिए बजट नहीं
स्टेडियम को एक बार देखने पर यह जंगल जैसा दिखता है. बड़े-बड़े पेड़ और पौधे कोई भी आसानी से देख सकता है. खेल विभाग को यहां जगह दी गई है, और असिस्टेंट डायरेक्टर भी यहीं बैठते हैं, लेकिन बड़ी बात यह है कि उनके पास इस जंगल की सफाई को लेकर बजट नहीं है. उनका दावा है कि वह अपने व्यक्तिगत संबंधों पर यहां सफाई जैसी चीज जरूर कर रहे हैं लेकिन उसका भी उतना असर नहीं पड़ रहा है.

खिलाड़ियों ने कहा– व्यवस्था में सुधार जरूरी
लोक निर्माण विभाग इस स्टेडियम में कई तरह के निर्माण काम करवा रहा है जिसके कारण ही जगह-जगह मिट्टी रख दी गई है। इससे खिलाड़ियों को दिक्कत हो रही है। उनका कहना है कि खेल विभाग के अधिकारी जिस तरह खिलाड़ियों को तैयार करने में लापरवाही बरत रहे हैं उसे आने वाले दिनों में कई और समस्याएं होनी तय है यही वजह है कि वह इन समस्याओं से राहत की मांग कर रहे हैं.

हमारी कोशिश जारी, काम चल रहा – ए एक्का-
हमारे यहां कबड्डी एथलीट तीरंदाजी और हॉकी जैसे खेल का प्रशिक्षण चालूहै। हॉकी स्टेडियम में पवेलियन को लेकर बजट मांगी गई थी जो मिल गई है आने वाले दिनों में उसका निर्माण होगा इसके अलावा बाकी मैदान में निर्माण काम चल रहे हैं खिलाड़ियों की समस्याएं भी दूर होगी। ए एक्का, उप संचालक जिला खेल विभाग बिलासपुर

जानिए एक नजर में यह पूरा स्टेडियम

राज्य प्रशिक्षण केंद्र के तौर पर इस स्टेडियम को तैयार किया गया. साल 2008 में इसकी लागत 68 करोड रुपए के करीब थी. जो फिलहाल बढ़कर एक सभी करोड़ से भी ज्यादा हो गई है. जिन खेल मैदाने का निर्माण किया गया है उनके मेंटेनेंस ठीक नहीं हो रहा है. जगह-जगह जंगल और झाड़ियां है जिसके कारण 1 किलोमीटर दूर से एक आदमी दूसरे आदमी को देख नहीं सकता. कोई 14 साल बाद भी यहां उसे तरह से व्यवस्था नहीं बन पाई है जिस तरह से बननी चाहिए यही वजह है कि खिलाड़ी लगातार इसकी मांग कर रहे हैं.
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