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बेईमान मौसम : सब्जी किसान हुए बर्बाद, मुनाफा दूर लागत भी मुश्किल, आठ रुपये किलो बिक रहा करेला

सरगुजा जिला मुख्यालय अंबिकापुर का सब्जी मंडी, जहां किसान इस उम्मीद से आते हैं कि उन्हें सब्जियों का सही रेट मिल जायेगा लेकिन इन दिनों सब्जियों का इस इलाके में बम्पर उत्पादन की वजह से किसानों को सही मूल्य नहीं मिल रहा है, लेकिन मजबूर किसान कौड़ी के मोल में सब्जी बेचने लाचार हैं, क्योंकि किसानों के पास कोई दूसरा उपाय नहीं है. अब लटोरी गांव के रहने वाले साधु राम को ही ले लीजिए, इन्होने चार एकड़ में करेला और टमाटर लगाया है लेकिन आठ रुपए में करेला बिक रहा और लागत ढाई लाख लगा है, वे कह रहें हैं कि हालत ऐसी हो गई कि लागत तक वसूल नहीं हो रहा है, अब मवेशियों को खिलाएंगे.

वहीं व्यापारियों का कहना है कि सब्जियों का रेट मंडी में इतना कम है, क्योकि उत्पादन अधिक हुआ है, वहीं यहां से व्यापारी झारखण्ड, यूपी, ओड़िसा राज्य हर रोज सब्जियों की सप्लाई कर रहें हैं. अंबिकापुर के सब्जी मंडी में सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर जिले के किसान सब्जी लेकर आते हैं. मंडी में हर रोज 2000 हजार किसान सब्जी बेचने लाते हैं. किसानों से मंडी में कमीशन एजेंट आठ प्रतिशत कमीशन ले लेते हैं, अगर किसान एक क्विंटल करेला आठ सौ में यहां बेचता है, तो आठ प्रतिशत के हिसाब से 64 रुपये कमीशन एजेंट ले लेता है, कमीशन एजेंट किसान और सब्जी खरीदने वाले व्यापारियों के बीच का दलाल होता है.

सब्जी के सही दम नहीं मिलने से कर्ज में डूबे किसान

अंबिकापुर सब्जी मंडी से हर रोज 200 पिकअप वाहनों में करीब 60 हजार टन सब्जी दूसरे राज्यों में भेजा जा रहा है. दूसरी तरफ सब्जियों का उत्पादन पिछले कुछ सालों में सरगुजा इलाके में तेजी से बढ़ा है, और अब हर मौसम में किसान सब्जियों की खेती कर रहें हैं, क्योंकि सिंचाई की सुविधा बढ़ी है, तो किसानों को खेती के लिए कर्ज मिल रहा है, लेकिन सरगुजा में कई प्रोसेसिंग यूनिट है जहां सब्जियों के अधिक उत्पादन होने पर उन्हें स्टोर किया जा सके या पैकिंग वाले खाद्य पदार्थ बनाया जा सके. वहीं किसानों को सही रेट नहीं मिलने से किसान कर्जदार हो रहें हैं.

कम दाम में बिक रही सब्जी
मंडी में जहां किसान कम रेट में सब्जियों के बिकने से आहात है, वहीं खुले बाजार में तीन रुपये से आठ रुपये किलो में बिकने वाला खीरा, करेला, बरबट्टी, लौकी 20-25 रुपये किलो में बिक रहा है, हालत यह है कि सब्जी उत्पादन करने वालों से अधिक मुनाफा दलाल और सब्जी व्यापारी कमा रहें हैं लेकिन देश में अब तक यह सिस्टम तय नहीं हो सका है कि किसान अपने उत्पाद का रेट खुद तय करे और यही वजह है कि किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता.

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