भोपाल में जमीन धोखाधड़ी, ईओडब्ल्यू ने फेथ बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के निदेशक समेत पांच पर केस दर्ज किया

बिगुल
पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जमीन धोखाधड़ी के मामले में फेथ बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, बैंक अधिकारियों समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
मामले में इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के प्रमुख अधिकारी भी शामिल हैं, जिनमें अनीस पाल सिंह (बैंक के मूल्यांकनकर्ता), अभिनव गीत (तकनीकी अधिकारी) और वरिष्ठ अधिकारी राजेश सिंह चौहान शामिल है। ईओडब्ल्यू ने सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट विनय भदौरिया की शिकायत की जांच के बाद यह केस दर्ज किया। भदौरिया द्वारा की गई शिकायत के अनुसार उनके स्वर्गीय पिता डॉ एमएस भदौरिया का चूनाभट्टी इलाके में कीमती भूखंड था, जिसे बैंक अधिकारियों ने निजी डेवलपर्स से मिलीभगत करके कम कीमत पर बेच दिया था।
ईओडब्ल्यू ने शिकायत की जांच की तो पता चला कि मार्च 2014 में अनीस पाल सिंह ने जमीन की पहली मूल्यांकन रिपोर्ट में 16 हजार वर्ग फुट के भूखंड का कुल मूल्य 6 करोड़ 8 लाख 72 हजार 864 रुपए बताया था। हालांकि, सितंबर 2016 में सिंह ने भूमि का पुनर्मूल्यांकन करते हुए इसका मूल्य 4 करोड़ तीन लाख 65 हजार 968 रुपये कर दिया। जिसमें प्रति वर्गफुट कीमत सिर्फ 2850 रुपये आंकी गई थी। भूखंड की बाजार में ज्यादा कीमत के बावजूद उसकी कम कीमत का कोई उचित कारण नहीं बताया गया।
यहीं नहीं, मार्च 2017 में एक और मूल्यांकन किया गया, जिसमें भूमि का मूल्य घटाकर 3 करोड़ 53 लाख 92 हजार रुपये कर दिया गया। इस बार यह तर्क दिया गया कि भूखंड पर कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है, जबकि जांच में पता चला कि भूमि पर एक बाउंड्री वॉल बनाई गई थी, जिसे सभी मूल्यांकन रिपोर्टों में जानबूझकर नजरअंदाज किया गया था। इसके बाद अप्रैल 2017 में यह भूखंड मात्र 2 करोड़ 75 लाख 10 हजार रुपये में नीलाम कर दिया गया, जो उसकी वास्तविक बाजार कीमत का एक अंश मात्र था। बिक्री दस्तावेजों में भूखंड की बाजार कीमत 6 करोड़ 69 लाख 14 हजार 100 रुपये दिखाई गई, जिससे नीलामी मूल्य और वास्तविक मूल्य के बीच बड़ा अंतर सामने आया।
ईओडब्ल्यू के जांच में जुटाए साक्ष्य से सामने आया कि नीलामी प्रक्रिया में हेरफेर की गई, जिससे राघवेंद्र सिंह तोमर को भूखंड कम कीमत पर खरीदने का मौका मिला। लेफ्टिनेंट भदौरिया का आरोप है कि यह कम मूल्यांकन जानबूझकर किया गया था ताकि संपत्ति की धोखाधड़ी कर उसे बेचा जा सके। आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें षड्यंत्र (धारा 120बी) और धोखाधड़ी (धारा 420) शामिल हैं।



