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पोस्टमार्टम करने के बदले रूपये मांगने का मामला, बीएमओ निलंबित, मेडिकल ऑफिसर अमन जायसवाल बर्खास्त

बिगुल
तालाब में डूबने से 2 बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम करने के एवज में परिजनों से 10-10 हज़ार रुपए मांगने और लाश ले जाने के लिए शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराने के मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने बड़ी कार्रवाई करते हुए धौरपुर बीएमओ डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया है।

तालाब में डूबने से 2 बच्चों की मौत के बाद डॉक्टर द्वारा पोस्टमार्टम करने के एवज में परिजनों से 10-10 हज़ार रुपए मांगने और लाश ले जाने के लिए शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराने के मामले में स्वास्थ्य मंत्री ने बड़ी कार्रवाई करते हुए धौरपुर बीएमओ डॉ. राघवेंद्र चौबे को निलंबित कर दिया है और रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ मेडिकल ऑफिसर अमन जायसवाल को बर्खास्त कर दिया है। स्वास्थ्य मंत्री के अनुशंसा पर स्वास्थ्य सचिव के निर्देश के बाद कलेक्टर ने कार्रवाई की है।

वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए सरगुजा कलेक्टर शोकाकुल परिजनों के घर पहुंचकर पीड़ित परिजनों को तत्काल आपदा-प्रबंधन के तहत 4-4 लाख की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की है। गौरतलब है कि सरगुजा जिला के लूंड्रा विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सिलसिला के ढोढ़ा झरिया में गत 18 मई की शाम लगभग 5 बजे मछली पालन के लिए बनाए गए डबरी में डूबने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। मृतक सूरज गिरी और जुगनू गिरी, दोनों पांच वर्षीय सगे चचेरे भाई थे।

परिजनों ने आरोप लगाया कि रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक ने पोस्टमार्टम के लिए प्रति शव 10-10 हजार रुपये की मांग की। पैसे नहीं देने पर शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। सोमवार को जब ग्रामीणों ने दबाव बनाया और शिकायत की, तब जाकर पोस्टमार्टम हो पाया था।पोस्टमार्टम होने के बाद डॉक्टर ने शव को ले जाने के लिए शव वाहन तक उपलब्ध नहीं कराया था,जिसके कारण परिजनों को दोनों बच्चों के शव को मोटरसाइकिल से गांव ले जाना पड़ा था।

मामले की जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धौरपुर के खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राघवेंद्र चौबे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं रख सके और अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह रहे। उनका यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के विपरीत पाया गया। अतः उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय, अम्बिकापुर निर्धारित किया गया है और वे सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे।

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