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ब्रेकिंग : HDFC Bank को तगड़ा झटका, पंजाब सरकार ने लगाया प्रतिबंध, विभागों को वित्तीय लेनदेन ना करने का आदेश, छह अन्य बैंक भी निशाने पर

देश के अग्रणी प्राइवेट बैंकों में से एक एचडीएफसी बैंक की पंजाब सरकार ने छुटटी कर दी है यानि इस राज्य की सरकार ने एचडीएफसी बैंक को पैनल से हटा दिया है. इसकी प्रमुख वजह बैंक प्रबंधन द्वारा सहयोग की कमी, समय पर लेनदेन ना करना और सरकार के वित्तीय आदेशों को लागू करने में विफल रहना बताया गया है.

पंजाब सरकार के लेखा एवं व्यय सचिव-सह-निदेशक संस्थागत वित्त एवं बैंकिंग द्वारा जारी आदेश में सरकार ने पंजाब सरकार के सभी वित्त आयुक्तों, प्रमुख सचिवों और प्रशासनिक सचिवों, राज्य सरकार के विभागाध्यक्षों, सभी संभागीय आयुक्तों, उपायुक्तों और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक को एचडीएफसी बैंक के साथ कोई भी कारोबार नहीं करने को कहा है।

आदेश में कहा गया है कि “यह देखते हुए कि एचडीएफसी बैंक ने कुछ निश्चित समयबद्ध लेनदेन करने के आदेश को लागू करने में राज्य सरकार के साथ सहयोग नहीं किया है, ऐसी परिस्थितियों में, एचडीएफसी बैंक के साथ कोई भी सरकारी कारोबार करना समझदारी नहीं होगी। तदनुसार, एचडीएफसी बैंक को पैनल से हटा दिया गया है और पैनल में शामिल 23 बैंकों की नई सूची जारी कर दी गई है जिसमें एचडीएफसी बैंक को हटा दिया गया है. स्पष्ट है कि राज्य सरकार का कोई भी विभाग अब इस बैंक से बिजनेस नही कर सकेगा.

यह कदम पंजाब सरकार द्वारा विभिन्न विभागों को उनको जारी की गई धनराशि को राज्य के खजाने में वापस जमा करने को कहने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है ताकि कोष की कमी को कम किया जा सके. विगत 5 जून को मुख्य सचिव ने एक आपात बैठक में वित्तीय स्थिति पर चर्चा करते हुए सभी विभागों को जारी की गई धनराशि तत्काल वापस करने को कहा गया था।

जानते चलें कि एचडीएफसी ने कुछ दिन पहले, चालू वित्त वर्ष के लिए राज्य की उधार सीमा में 16,676 करोड़ रुपये की कटौती की थी.यह राज्य के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह कर्ज लेकर ही अपना काम चला रहा है। राज्य ने खुले बाजार उधार (ओएमबी) सीमा के तहत 48,000 करोड़ रुपये की मंजूरी मांगी थी, जिसमें केंद्र ने 16,676 करोड़ रुपये की कटौती कर दी थी।

सूत्रों के मुताबिक एचडीएफसी बैंक को पंजाब सरकार से 6800 करोड़ से ज्यादा की राशि का लेन देन होता था. जिस पर रोक लगने के बाद बैंक को भारी नुकसान होगा. दूसरी ओर छह से ज्यादा बैंक भी सरकार के निशाने पर हैं जिनके यहां ग्राहकों से धोखाधड़ी, वित्तीय अनियमितता, सरकारी आदेश ना मानने जैसे गंभीर आरोप हैं. इन बैंको को चेतावनी दी है कि वे अपनी कार्यप्रणाली को ईमानदार और विश्वसनीय बनाएं.

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