कागजों में मरा, हकीकत में जिंदा! सिस्टम की गलती ने छीन लिया सबकुछ, बुज़ुर्ग ने लगाई मदद की गुहार
बिगुल
छिंदवाड़ा में पंचायत परासिया में मंगलवार को एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां दमुआ रैय्यत पंचायत के गौरपानी माल निवासी 65 वर्षीय उदयचंद उईके खुद को “जिंदा” साबित करने दस्तावेजों की फाइल लेकर अधिकारियों से गुहार लगाते दिखाई दिए। वर्ष 2020 में एक प्रशासनिक गलती के चलते उदयचंद को समग्र आईडी से “मृतक” घोषित कर दिया गया। इसके बाद से पेंशन, राशन, आंगनबाड़ी किराया और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो गया।
“पेंशन के लिए गया तो जवाब मिला आप मर चुके हैं”
उदयचंद ने बताया कि जब वह केवाईसी अपडेट और पेंशन के लिए कार्यालय पहुंचे, तो जवाब मिला कि वे तो कागजों में मृतक घोषित हो चुके हैं। यह सुनकर वे स्तब्ध रह गए और पिछले पांच वर्षों से अपनी पहचान बहाल कराने भटक रहे हैं। मंगलवार को उदयचंद जिला कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे, जहां से उन्हें परासिया जनपद पंचायत भेजा गया। जनपद सीईओ ने मामले को गंभीर मानते हुए आवश्यक दस्तावेज तैयार कर समग्र आईडी फिर से लिंक कराने के निर्देश दिए हैं।
कौन है जिम्मेदार?
घटना के समय के पंचायत सचिव उमेश सूर्यवंशी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, वहीं रोजगार सहायक रामलखन कुमरे पर गबन का मामला दर्ज है और वे कोर्ट से स्टे के आधार पर कार्यरत हैं। उदयचंद ने इन्हीं पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
मृत घोषित करने के बाद भी खाते में पहुंची योजनाओं की राशि
गौर करने वाली बात यह है कि जून 2020 में मृत घोषित होने के बाद अगस्त 2020 में उनके खाते में बकरी शेड योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि ट्रांसफर की गई, जिससे सिस्टम की गंभीर खामियों पर सवाल उठ रहे हैं।
अब क्या होगा?
अब पंचनामा और शपथपत्र के ज़रिए उनकी पहचान दोबारा प्रमाणित कर समग्र आईडी से आधार को जोड़ा जाएगा। इसके बाद पेंशन व अन्य योजनाओं का लाभ फिर से मिल सकेगा। उदयचंद की अपील करते हुए कहा, “मैं जिंदा हूं, सांसें ले रहा हूं… सरकार से बस यही चाहता हूं कि मुझे फिर से ज़िंदा घोषित किया जाए। कागजों में तो मुझे मार डाला गया है।”



