हाईकोर्ट ने करंट हादसे में मुआवजा बढ़ाया, अब देना होगा इतना, जानें बिजली कंपनी से क्या कहा

बिगुल
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने करंट हादसे में मृतक के परिवार को मुआवजे की राशि बढ़ाकर 7 लाख 68 हजार 990 रुपये करते हुए बिजली कंपनी की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि बिजली सप्लाई से जुड़े उपकरण और कार्य स्वभाव से खतरनाक हैं। इसलिए दुर्घटना में विभाग की सीधी जिम्मेदारी है।
कोर्ट ने छह प्रतिशत ब्याज सहित मुआवजा तीन महीने में देने का आदेश दिया। जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने यह आदेश जांजगीर-चांपा के मालखरौदा में एक ग्रामीण की करंट से हुई मौत के मामले में दिया। पत्नी और बेटियों ने बिजली विभाग को दोषी मानकर 28.90 लाख के मुआवजे का दावा किया था।
ट्रायल कोर्ट ने 4 लाख मुआवजा तय किया था, जिसे हाईकोर्ट ने बढ़ाकर 7.68 लाख किया और तीन माह में भुगतान का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के शैल कुमारी के मामले में निर्णय का हवाला देते हुए अदालत ने ‘स्ट्रिक्ट लाइबिलिटी’ लागू की।
जांजगीर-चांपा जिले के पिकरीपार निवासी चित्रभान गांव में कृषि कार्य और दैनिक मजदूरी से परिवार चलाते थे। उनकी उम्र लगभग 40 वर्ष थी। पत्नी शांति बाई,तीन बेटियां और वृद्ध माता-पिता परिवार में आश्रित थे। 6 मई 2021 को काम से लौटने के दौरान घर के पास झूल रहे तार की चपेट में चित्रभान की बिजली करंट से मौत हो गई। मृतक की पत्नी शांति बाई और तीन बेटियों ने विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए 28.90 लाख रुपए का दावा किया।
बिजली कंपनी ने की लापरवाही
मृतक के घर के सामने से गुजर रही 11 केवी लाइन से जुड़ी लो-टेंशन सर्विस वायर (जो घरों को बिजली सप्लाई देती है) कई दिनों से झूल रही थी। आसपास के लोगों ने बिजली विभाग को कई बार इसकी जानकारी दी। लेकिन बिजली कंपनी के कर्मचारियों ने तार की जांच या बदलने का काम नहीं किया। ग्रामीणों ने पहले ही विभाग को खतरे के बारे में बताया था, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।