मुक्तिधामों की बदहाली पर हाई कोर्ट की सख्ती, मुख्य न्यायाधीश के निरीक्षण के बाद लिया संज्ञान, सभी जिलों की मांगी रिपोर्ट

बिगुल
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर जिले के रहंगी ग्राम पंचायत स्थित मुक्तिधाम (अंत्येष्टि स्थल) में फैली अव्यवस्था को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को फिर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से अब तक की कार्रवाई और सुधारात्मक उपायों की जानकारी मांगी. सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने अदालत को बताया कि मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और कलेक्टर बिलासपुर ने इस मामले में अपने-अपने शपथपत्र (हलफनामा) प्रस्तुत किए हैं. साथ ही, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और शहरी प्रशासन विभाग ने क्रमशः 6 अक्टूबर और 8 अक्टूबर 2025 को इस विषय पर राज्यव्यापी निर्देश जारी किए हैं. मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर 2025 को निर्धारित की गई है.
मुक्तिधाम में बुनियादी सुविधाएं शुरू – कलेक्टर
कलेक्टर बिलासपुर ने अपने हलफनामे में बताया कि रहंगी ग्राम पंचायत के मुक्तिधाम में अब बैठने के लिए शेड, पीने के पानी की व्यवस्था और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. साथ ही, मुक्तिधाम तक पहुंचने के लिए नए सड़क मार्ग का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है.
सम्मानजनक मृत्यु और अंतिम संस्कार भी मौलिक अधिकार
हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि दाह संस्कार का अधिकार भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग है. पहली सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की थी कि, जब कोई व्यक्ति स्वर्ग सिधारता है, तो उसका शरीर सम्मानजनक विदाई का हकदार होता है. शव कोई वस्तु नहीं है जिसका अमानवीय ढंग से निपटान किया जाए. परिवार और समाज के लिए यह भावनात्मक क्षण होता है, इसलिए हर व्यक्ति को शांतिपूर्ण वातावरण में अंतिम संस्कार का अवसर मिलना चाहिए.
अदालत ने यह दिए निर्देश
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के सचिव और सभी जिला कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल करें। प्रत्येक जिले में स्थित श्मशान घाटों की वर्तमान स्थिति, सुधार की योजना और भविष्य का रोडमैप अदालत को बताया जाए. यह भी बताया जाए कि मुक्तिधामों के रखरखाव और सुविधा विकास के लिए क्या स्थायी व्यवस्था बनाई जा रही है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर 2025 को तय की है, और तब तक मुख्य सचिव से राज्यभर की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है.