क्रूरता माफ हो तो तलाक का आधार नहीं बनता, हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के विवाद से जुड़े मामले में सुनाया फैसला

बिगुल
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के विवाद से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि कथित क्रूरता को जीवनसाथी ने बाद में माफ कर दिया हो, तो वह तलाक का आधार नहीं बन सकती.
क्रूरता माफ हो तो तलाक का आधार नहीं बनता – हाई कोर्ट
अदालत ने कहा कि बिना ठोस सबूतों के मानसिक क्रूरता साबित नहीं होती. इसी आधार पर हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पति की तलाक संबंधी अपील खारिज कर दी.
दरअसल, जांजगीर के रहने वाले युवक की शादी 11 दिसंबर 2020 को मुंगेली जिले के सरगांव निवासी महिला के साथ हुई थी. अक्टूबर 2022 को उनकी बेटी पैदा हुई, जिसके बाद से दोनों पत्नी के बीच तनाव बढ़ने लगा. फिर विवाद शुरू हो गया.
पति ने पत्नि पर लगाए आरोप
पति का आरोप था कि तीन अनजान नंबरों से कॉल कर उसे गालियां दी गईं. साथ ही पत्नी के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई. पति का आरोप है कि 29 मार्च 2023 को उसकी पत्नी घर छोड़कर चली गईं.
हाईकोर्ट में पति ने कहा कि नवंबर 2022 में एक सामाजिक बैठक के दौरान पत्नी के पास से तीन सिम कार्ड मिले. समझाइश के बाद कुछ समय तक सब ठीक रहा, लेकिन फिर विवाद शुरू हुआ. 16 मार्च 2023 को पत्नी ने उसे दहेज और टोनही मामले में फंसाने की धमकी दी. इसी तनाव के बाद पत्नी उससे अलग होने चली गई.



