अपने ही सरकार के खिलाफ हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल, जमीनों की नई गाइडलाइन दरों का किया विरोध, सीएम साय को लिखा पत्र

बिगुल
छत्तीसगढ़ में कलेक्टर गाइडलाइन दरों में बड़े पैमाने पर की गई वृद्धि को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। नई गाइडलाइन लागू होने के बाद जमीनों की कीमतें 5 से 9 गुना तक बढ़ गई हैं, जिसके विरोध में अब सत्ता पक्ष के वरिष्ठ सांसद बृजमोहन अग्रवाल खुलकर सामने आए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को विस्तृत पत्र लिखकर इस फैसले को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने और पुनर्विचार करने की मांग की है।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार ने बिना किसी जन-परामर्श, बिना वास्तविक मूल्यांकन और बिना सामाजिक-आर्थिक असर का अध्ययन किए गाइडलाइन दरों में भारी बढ़ोतरी कर दी। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से किसान, छोटे व्यवसायी, कुटीर उद्योग चलाने वाले, मध्यम वर्ग, रियल एस्टेट क्षेत्र और निवेशक सभी प्रभावित होंगे। उनका कहना है कि निर्णय “Ease of Living (इज ऑफ लिविंग)” और “Ease of Doing Business (इज ऑफ डूइंग बिजनेस)” दोनों के विपरीत है।
725% और 888% तक की चौंकाने वाली वृद्धि
अपने पत्र में अग्रवाल ने लाभांडी और निमोरा गांवों का उदाहरण देते हुए बताया कि इन क्षेत्रों में गाइडलाइन दरें 725% और 888% तक बढ़ा दी गई हैं, जबकि बुनियादी सुविधाएं तक विकसित नहीं हैं। उन्होंने नवा रायपुर के ग्रामीण क्षेत्रों को बिना तैयारी के नगरीय क्षेत्र घोषित करने पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि ऐसे फैसलों से स्थानीय लोगों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ता है।
किसानों को ज्यादा मुआवजा मिलने का दावा भी भ्रामक
सरकार का दावा है कि गाइडलाइन मूल्य बढ़ने से किसानों को भूमि अधिग्रहण में अधिक मुआवजा मिलेगा। लेकिन इसके जवाब में अग्रवाल ने तर्क दिया कि अधिग्रहण के लिए केवल 1% जमीन का ही उपयोग होता है, जबकि 99% लोग भारी पंजीयन शुल्क और बढ़े हुए गाइडलाइन मूल्य का बोझ उठाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि गाइडलाइन मूल्य 100% तक बढ़ाया गया है तो पंजीयन शुल्क भी 4% से घटाकर 0.8% किया जाना चाहिए।
नई गाइडलाइन में क्या बदला?
पहले सरकार जमीन का बाजार मूल्य निकालते समय 30% की छूट देती थी।
उदाहरण:
10 लाख की जमीन = 30% छूट के बाद केवल 7 लाख मूल्य माना जाता था।
इसी पर 4% पंजीयन शुल्क लिया जाता था।
अब यह 30% छूट समाप्त कर दी गई है और जमीन का पूरा 100% मूल्य ही गिना जाएगा।
लेकिन पंजीयन शुल्क 4% और मकानों पर 2% ही रखा गया है, यानी जनता पर दोगुना बोझ।
सांसद ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया
नई गाइडलाइन (20/11/2025) को तुरंत स्थगित किया जाए
पुरानी गाइडलाइन को फिर से लागू किया जाए
स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से वास्तविक मूल्यांकन कराया जाए
पंजीयन शुल्क 4% से घटाकर 0.8% किया जाए
नवा रायपुर ग्रामीण क्षेत्र को पुनः ग्रामीण दर्जा दिया जाए
उनका कहना है कि वह राजनीति नहीं, जनसेवा करते हैं, और इस बढ़ोतरी के कारण लाखों परिवार आर्थिक दबाव में आ जाएंगे। यही कारण है कि वे जनता की आवाज उठाने के लिए आगे आए हैं।



