अफसरनामा

ACB-EOW का बड़ा एक्शन, RI भर्ती परीक्षा में पेपर-लीक कराने वाले 2 अधिकारी गिरफ्तार, मोटी रकम लेकर प्रश्नपत्र देते थे

बिगुल
छत्तीसगढ़ में पटवारी से RI प्रमोशन परीक्षा घोटाले की जांच ने जोर पकड़ लिया है. दो दिन पहले ACB-EOW की संयुक्त टीम ने रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग समेत 7 जिलों में 19 ठिकानों पर छापेमारी की थी.

इसी कार्रवाई के बाद रायपुर से दो अधिकारियों आयुक्त भू-अभिलेख कार्यालय के सहायक सांख्यिकी अधिकारी वीरेंद्र जाटव और उप आयुक्त भू-अभिलेख कार्यालय के सहायक सांख्यिकी अधिकारी हेमंत कौशिक को गिरफ्तार कर लिया गया है.

RI भर्ती परीक्षा में पेपर-लीक कराने वाले 2 अधिकारी गिरफ्तार
आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने मोटी रकम लेकर पेपर लीक किया था और कई उम्मीदवारों को प्रमोशन दिलाने के लिए एग्जाम की तैयारी करवाने से लेकर अन्य प्रकार की ‘लाइजनिंग’ तक की. वर्ष 2024 में आयोजित इस परीक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायतें आने के बाद ही ACB-EOW की निगरानी बढ़ाई गई थी.

ACB/EOW ने बताया कि छापेमारी के दौरान परीक्षा संचालन समिति से जुड़े अफसरों, प्रश्न पत्र छपाई और वितरण से जुड़े कर्मचारियों और प्रमोशन दिलाने के लिए सक्रिय राजस्व अधिकारियों के घरों, कार्यालयों और निजी ठिकानों से कई डिजिटल सबूत, संदिग्ध लेन-देन के एग्रीमेंट, बैंक विवरण, प्रॉपर्टी कागजात और अन्य दस्तावेज जब्त किए.

कई सबूत किए बरामद
एजेंसी का दावा है कि दोनों गिरफ्तार अधिकारियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले हैं और उन्होंने खुद साथ ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को फायदा पहुंचाने के लिए सुनियोजित तरीके से धोखाधड़ी की. इसी आधार पर उनके खिलाफ अपराध दर्ज कर आगे की पूछताछ जारी है. टीम को कई जगहों से नकदी, सोने-चांदी के जेवर, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और आय से अधिक संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं, जिससे जांच और गहरी हो गई है.

छापेमारी का दायरा काफी बड़ा रहा. 19 नवंबर की सुबह-सुबह रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, गरियाबंद, अंबिकापुर, महासमुंद और जगदलपुर में एक साथ दबिश दी गई. बिलासपुर में RI अभिषेक सिंह के वाजपेयी कैसल स्थित निवास पर कार्रवाई हुई. जहां टीम ने अभिषेक सहित परिजनों से पूछताछ की और दस्तावेजों की जांच की. सूरजपुर में पदस्थ अभिषेक सिंह के खिलाफ संदिग्ध लेन-देन और परीक्षा में संभावित अनियमितताओं को लेकर सवाल उठे. इसी तरह बेमेतरा जिला पंचायत CEO प्रेमलता पद्माकर के सरकारी आवास पर भी EOW की टीम पूरे दिन मौजूद रही और RI परीक्षा से जुड़ी अनियमितताओं की विस्तृत जांच की. कुछ जगहों पर टीम को आय से कई गुना अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ, जो घोटाले की गहराई को और स्पष्ट करता है.

कैसे हुई गड़बड़ी?
गौरतलब है कि 7 जनवरी 2024 को हुई इस प्रमोशन परीक्षा में 2600 से अधिक पटवारियों ने हिस्सा लिया था। 29 फरवरी 2024 को घोषित परिणाम में 216 अभ्यर्थियों को प्रशिक्षण के लिए चयनित किया गया था, लेकिन बाद में सिर्फ 13 उम्मीदवारों का ही अंतिम चयन हुआ. इसके बावजूद 22 लोगों को पदोन्नति दे दी गई, जिस पर शुरू से ही सवाल उठते रहे. शिकायतों में यह भी प्रमुख था कि बड़ी संख्या में परिवारजनों और करीबी रिश्तेदारों को परीक्षा में सुनियोजित तरीके से शामिल कर लाभ पहुंचाया गया. इन्हीं गंभीर आरोपों के बाद ACB-EOW ने व्यापक पूछताछ और छापेमारी की प्रक्रिया शुरू की, जो अब गिरफ्तारी तक पहुंच चुकी है. जांच एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं साथ ही शामिल अन्य अधिकारियों पर भी बड़ा एक्शन संभव है.

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