छत्तीसगढ़ की ‘पंडवानी गायन’ की धुन पर झूमी आयोध्या, आरपीएफ प्रभारी तरुणा साहू ने दी प्रस्तुति
बिगुल
रायपुर.अयोध्या में शनिवार को आयोजित महोत्सव में पंडवानी के कापालिक शैली की प्रस्तुति दी गई. आपीएफ रायपुर पोस्ट प्रभारी तरुणा साहू ने पाशुपत अस्त्र तपस्या के लिए शंकर-अर्जुन संवाद और द्रौपदी चीर हरण की जीवंत प्रस्तुति दी. दोनों प्रसंगों का दर्शकों ने खूब आनंद लिया. आरपीएफ निरीक्षक तरुणा साहू मंदिर हसौद पोस्ट प्रभारी पद पर नियुक्त हैं.
तरुणा पद्म विभूषण डॉक्टर तीजन बाई की शिष्या भी हैं. UP के संस्कृति विभाग ने पंडवानी गायन के लिए उन्हें आमंत्रित किया था. शनिवार रात 1 बजे अयोध्या के रामलला मंदिर प्रांगण में कार्यक्रम संपन्न हुआ. तरुणा साहू रायपुर के बसंत विहार कॉलोनी की रहने वाली हैं.
धमतरी जिले के नक्सल प्रभावित ग्राम गिधावा, नगरी में पली-बढ़ी तरुणा साहू वर्तमान में रायपुर के मंदिर हसौद आरपीएफ पोस्ट में प्रभारी के पद पर कार्यरत हैं. तरुणा को पंडवानी गायन में महारथ हासिल है. वर्ष 1993-94 में पद्म विभूषण तीजन बाई से पंडवानी गायन का प्रशिक्षण प्राप्त कर तरुणा ने देशभर में अपनी कला का प्रदर्शन किया.
धमतरी जिले के नक्सल प्रभावित ग्राम गिधावा, नगरी में पली-बढ़ी तरुणा साहू वर्तमान में रायपुर के मंदिर हसौद आरपीएफ पोस्ट में प्रभारी के पद पर कार्यरत है. तरुणा को पंडवानी गायन में महारथ हासिल है. वर्ष 1993-94 में पद्म विभूषण तीजन बाई से पंडवानी गायन का प्रशिक्षण प्राप्त कर तरुणा ने देशभर में अपनी कला का प्रदर्शन किया.
पंडवानी का नाम छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विख्यात है. तीजनबाई ने पंडवानी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाकर छत्तीसगढ़ राज्य की एक अलग पहचान बनाई है. पंडवानी एक लोक गाथा है, जो महाभारत के कथा पर आधारित है. हम इसे महाभारत का छत्तीसगढ़ी रूपांतरण भी कह सकते हैं. इसके मुख्य नायक भीम और मुख्य नायिका द्रोपदी को बताया गया है. पंडवानी को मुख्यतः दो शैलियों में प्रस्तुत किया जाता है. एक है वेदमती शैली और दूसरा कापालिक शैली ( गायन तथा नृत्य दोनों ) है.