सुप्रीम कोर्ट से भूपेश बघेल को झटका, ED के अधिकारों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

बिगुल
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने ED के अधिकारों को चुनौती देने वाली बघेल की याचिका खारिज कर दी है. बघेल ने मनी लॉन्ड्रिंग की धारा 44 के तहत जांच करने के अधिकारों को चुनौती दी थी. याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने के लिए कहा है.
ED के मिले अधिकारों को SC ने गलत नहीं माना
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने ED की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे. भूपेश बघेल ने PMLA की धारा 44, 50, 63 को चुनौती दी थी. भूपेश बघेल का आरोप है कि एक बार चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट की परमिशन के बिना दोबारा चार्जशीट दाखिल नहीं होती है. लेकिन ED ने ऐसा नहीं किया है. ED ने बिना परमिशन के ही दोबारा चार्जशीट दाखिल कर दी है. धारा 50 के तहत आरोपी से ही अपने खिलाफ गवाही लेना न्याय की मूल भावना के खिलाफ है.
वहीं कोर्ट ने ED को मिले अधिकारों को गलत नहीं माना और भूपेश बघेल की याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर जांच में आपको कुछ गलत लगता है तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं.
भूपेश बघेल ने शराब घोटाले में ED की जांच प्रक्रिया और मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम(PMLA) की कई धाराओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
न्यायिक रिमांड पर भेजे गए चैतन्य बघेल
3200 करोड़ के शराब घोटाला मामले में ED की टीम ने पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे को 18 जुलाई गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद चैतन्य को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 5 दिनों की रिमांड पर भेज दिया गया था. इसके बाद 22 जुलाई को भी कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की रिमांड पर भेज दिया था. 4 अगस्त को जब चैतन्य की रिमांड खत्म होने वाली थी, उससे पहले कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फिर से चैतन्य को 14 दिन की रिमांड पर भेज दिया है.



