बड़ी खबर : श्रीलंका से अंबिकापुर पहुंची श्रीराम की चरण पादुका, दर्शन करने को उमड़ा राम भक्तों का जनसैलाब
बिगुल
अंबिकापुर. श्रीलंका के अशोक वाटिका स्थित सीता माता मंदिर से भगवान श्रीराम के चरण पादुका की शोभायात्रा निकाली गई है। रामभक्त इस शोभायात्रा में श्रीलंका से चरण पादुका लेकर आयोध्या ले जा रहे हैं। आज श्रीलंका से आ रही श्री राम की चरण पादुका अंबिकापुर पहुंची है। वहीं चरण पादुका के स्वागत में राम भक्तों का हुजुम उमड़ पड़ा है। शहर भर के लोग चरण पादुका के दर्शन कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक भव्य शोभायात्रा नगर भ्रमण के लिए निकली है। शहर के अलग-अलग जगहों पर शोभायात्रा का भव्य स्वागत किया जा रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्री राम भक्त शामिल हुए और जय श्री राम के जयकारे के साथ शोभायात्रा संग चलते रहे।
दूसरी ओर रायपुर में 18 दिवसीय महोत्सव का आयोजन कल से हो रहा है. इस महोत्सव के मेन गेट को राम मंदिर की तर्ज पर सजाया गया है. बंगाल के कारीगर इसे तैयार कर रहे हैं. अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी। इसे लेकर रायपुर में भी उत्साह देखने को मिल रहा है। मंदिरों के अलावा मॉल भी राममय हो गए हैं। मैग्नेटो मॉल में राम सेतु का दृश्य तैयार किया गया है। साथ ही सोने से बनी लंका भी बनाई गई है। वहीं बीटीआई मैदान में आयोजित हो रहे गोंडवाना महोत्सव की भी थीम राम मंदिर पर रखी गई है।
आपको बता दें कि भगवान राम का कर्म स्थली अयोध्या को माना जाता है. लेकिन उनके तपो स्थली जहां उन्होंने 10 साल से ज्यादा वनवास काटा वो जगह है छत्तीसगढ़. रायपुर से 27 किलोमीटर दूर चंदखुरी में भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म स्थली है.जहां माता कौशल्या के गोद में राम लल्ला बैठे है. इसलिए छत्तीसगढ़ भगवान राम को भांजा राम की तरह मानता है. इस लिए छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल माना जाता है और राज्य में लोग भगवान राम को भांजा का रिश्ता मानते है.
छत्तीसगढ़ और अयोध्या का क्या रिश्ता है?
रामायण काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल के नाम से जाना जाता था. राजा दशरथ ने दक्षिण कौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या से विवाह किया. इसके बाद अयोध्या और दक्षिण कौशल का रिश्ता जुड़ गया. छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल माना गया. इसके पीछे आधार ये है कि देश में एकमात्र कौशल्या माता मंदिर छत्तीसगढ़ में है.