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बड़ी खबर : बर्खास्त शाहिद अली का गंभीर आरोप, अल्पसंख्यक हूं इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा,कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय ने की छुटटी

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने वस्तुस्थिति का संज्ञान लिए बिना और संबंधित का पक्ष सुने बिना निकाल दिया गया. एक अल्पसंख्यक (मुसलमान होने के कारण) खास वर्ग से संबंधित होने के कारण मुझे प्रताड़ित करने के लिए राजनैतिक द्वेष से परेशान किया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि विश्वविद्यालय में पूर्ववर्ती सरकार में एसोसिएट प्रोफेसर के दो पदों पर बिना चयन समिति के नियुक्ति कर ली गई. कुलपति की नियुक्ति बिना किसी अनुभव प्रमाण पत्र के कर ली गई. इस पर राज्य शासन और राज्यपाल ने जांच बिठाई है.

जानते चलें कि विभागअध्यक्ष डॉक्टर शाहिद अली की सेवाएं विश्वविद्यालय ने विगत 23 मार्च से समाप्त कर दी हैं। इस आशय का आदेश कुलपति के हस्ताक्षर से जारी कर दिया गया है. आदेश में कहा गया है कि विगत 13 जुलाई को मिले हाईकोर्ट के निर्देशानुसार शाहिद अली को एक बार पुनः प्राकृतिक सिद्धांत के तहत अपना पक्ष रखने के लिए विश्वविद्यालय को निर्देशित किया गया था. इसी परिप्रेक्ष्य में विवि ने एक कमेटी बनाई जिसके समक्ष शाहिद अली ने अपना पक्ष रखा लेकिन उनके द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र पहले से ही असत्य थे जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने भी प्रकरण में संज्ञान लिया था.

आरोप है कि शाहिद अली ने जो अनुभव प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय के दिए थे, उसने भी प्रमाण पत्रों को असत्य और फर्जी करार दिया था. इसी आधार पर उनकी नियुक्ति रदद की गई है. मामले को लेकर शाहिद अली पुनः कोर्ट चले गए थे जिसके बाद कोर्ट ने विवि को एक सुनवाई और करने को निर्देशित किया था। आदेश के मुताबिक डा अली को जुलाई 23 से 23 मार्च 24 तक का वेतन और अन्य वित्तीय लाभ प्रदान किया जायेगा।

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