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बीजापुर बनेगा स्पेस सिटी: नक्सल प्रभावित क्षेत्र से अंतरिक्ष विज्ञान की उड़ान तक, पढे़ं

बिगुल
बीजापुर एक समय में नक्सल प्रभावित इलाकों की सूची में शामिल बीजापुर अब बदलाव की मिसाल बन रहा है। शिक्षा और विज्ञान की दिशा में जिले ने एक ऐसा कदम उठाया है, जो न सिर्फ बच्चों के भविष्य को नई उड़ान देगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की पहचान को भी बदल देगा। अब बीजापुर स्पेस सिटी बनने की ओर अग्रसर है,और इसकी वजह है 10 सरकारी स्कूलों में शुरू हुई अत्याधुनिक एस्ट्रोनॉमी लैब्स।

दूरस्थ गांवों में वैज्ञानिक सोच की अलख
पामेड़, गांगलूर, भोपालपट्टनम जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में अब बच्चे किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं हैं। वे टेलिस्कोप से अंतरिक्ष की गहराइयों को देख रहे हैं और खगोलशास्त्र जैसे जटिल विषयों को व्यवहारिक रूप से समझ रहे हैं। सूर्य और चंद्र ग्रहण, उल्कापिंड, धूमकेतु, भूकंप जैसी घटनाएं अब उनके लिए केवल पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि अनुभव का हिस्सा बन गई हैं।

शुभांशु से मिली प्रेरणा, सितारों की ओर बढ़ते कदम
भारत के स्पेस मिशन में शामिल रहे वैज्ञानिक शुभांशु से प्रेरणा लेकर अब बीजापुर के बच्चे अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का सपना देख रहे हैं। टेलिस्कोप से निहारते ये बच्चे अब भय की नहीं, उम्मीदों की भाषा बोलते हैं। उनके सपनों में अब कोई सीमा नहीं सिर्फ सितारे हैं और उन्हें छूने की ललक।

स्पेस सिटी बनने की ओर बीजापुर का सफर
जिला शिक्षा अधिकारी एल. एल. धनेलिया के अनुसार यह पहल पूरे बस्तर संभाग में पहली है। पामेड़ से लेकर उसूर तक, दस सरकारी स्कूलों में खगोलशास्त्र की प्रयोगशालाएं बच्चों के अंदर वैज्ञानिक सोच को गहराई दे रही हैं। यह न सिर्फ शिक्षा का सशक्तीकरण है, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम भी है।

जब विज्ञान बना बच्चों की ताक़त
जहां पहले स्कूल जाना भी चुनौती था, अब वही बच्चे विज्ञान के रहस्यों को जानने को लेकर उत्सुक हैं। वे प्रयोग कर रहे हैं, सवाल पूछ रहे हैं और समाधान खोज रहे हैं यही है नयी पीढ़ी की असली ताक़त।बता दे कि नक्सलगढ़ से स्पेस सिटी की ओर अग्रसर बीजापुर का यह सफर, एक संदेश है पूरे देश के लिए, कि शिक्षा और विज्ञान की रोशनी सबसे घने अंधेरों को भी चीर सकती है।

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