Blog

ब्रेकिंग : डॉक्टर शाहिद अली विश्वविद्यालय से बर्खास्त, कुलपति ने सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया, जांच समिति ने हाईकोर्ट के फैसले को यथावत रखा, जानिए पूरा मामला

बिगुल

रायपुर. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर शाहिद अली की सेवाएं विश्वविद्यालय ने समाप्त कर दिया है। उनकी सेवाएं 23 मार्च से खत्म कर दी गई हैं।

कुलपति द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि विगत 13 जुलाई को मिले हाईकोर्ट के निर्देशानुसार शाहिद अली को एक बार पुनः प्राकृतिक सिद्धांत के तहत अपना पक्ष रखने के लिए विश्वविद्यालय को निर्देशित किया गया था l। इसी परिप्रेक्ष्य में विवि ने एक कमेटी बनाई जिसके समक्ष शाहिद अली ने अपना पक्ष रखा लेकिन उनके द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र पहले से ही असत्य पाए गए थे जिसके आधार पर हाईकोर्ट ने भी उनके खिलाफ फैसला दिया था। शाहिद अली ने जो अनुभव प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय के दिए थे, उसने भी प्रमाण पत्रों को असत्य और फर्जी करार दिया है, इसी के आधार पर पहले हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला दिया था।

इधर शाहिद अली पुनः कोर्ट चले गए थे जिसके बाद कोर्ट ने विवि को एक सुनवाई और करने को निर्देशित किया था। अब विश्वविद्यालय ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं।

डा अली को जुलाई 23 से 23 मार्च 24 तक का वेतन और अन्य वित्तीय लाभ प्रदान किया जायेगा। जानते चले की शाहिद अली की नियुक्ति प्रोफेसर के पद पर हुई थी जिसे शैलेंद्र खंडेलवाल ने गलत बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सालों तक सुनवाई चली और अंततः हाईकोर्ट ने डॉक्टर शाहिद अली की नियुक्ति को अवैध करार ठहराया था। इसके पीछे बड़ा आधार यह था कि डॉक्टर शाहिद अली ने जो अनुभव प्रमाण पत्र पेश किए थे, वह उनकी ही पत्नी के द्वारा जारी किए गए थे जो किसी अन्य विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थी बाद में उसी विश्वविद्यालय ने यह सत्यापित कर दिया था कि डॉक्टर शाहिद अली का अनुभव प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय की ओर से जारी नहीं किया गया था और उसे फर्जी और असत्य करार दिया था। इसी के आधार पर हाईकोर्ट ने डॉक्टर शाहिद अली की नियुक्ति को अवैध करार दिया। इस बीच अली के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हुए मगर वे बचते रहे। शाहिद अली पुनः हाई कोर्ट गए और अपना पक्ष रखा था इसके बाद हाईकोर्ट ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिए थे कि प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का पालन करते हुए शाहिद अली को एक बार पुनः अपनी बात रखने का मौका दिया जाए। विवाद इतना बढ़ गया था कि शाहिद अली ने कुलपति को ही नोटिस भिजवा दिया था।

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद विश्वविद्यालय ने एक समिति बनाई उस समिति के समक्ष शाहिद अली ने पुनः अपना पक्ष रखा लेकिन समिति ने पाया कि वह प्रमाण पत्र को सत्यापित नहीं कर सके। इसी को आधार बनाते हुए विश्वविद्यालय ने अब उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं।

Show More

The Bigul

हमारा आग्रह : एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं. कृपया हमारी आर्थिक मदद करें. आपका सहयोग 'द बिगुल' के लिए संजीवनी साबित होगा.

Related Articles

One Comment

  1. खबर का पूरी तरह से खंडन करता हूं। कुलपति का आदेश अवैधानिक है तथा किसी भी न्यायालय ने मेरी नियुक्ति निरस्त नहीं की है। कुलपति की नियुक्ति और उनकी योग्यता के विरुद्ध मेरी शिकायत पर जांच एवं माननीय न्यायालय में प्रकरण प्रक्रियाधीन है। अल्पसंख्यक वर्ग से होने के कारण प्रताड़ित किया जा रहा हूं। कृपया विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर के पद उन नियुक्तियों का संज्ञान ले जिनकी पात्रता एसोसिएट प्रोफेसर के पद हेतु नहीं हैं और पूर्ववर्ती सरकार में बिना किसी चयन समिति के अनुशंसा पर फर्जी ढंग से नियुक्त हैं। कृपया मेरे और मेरे परिवार की छवि को धूमिल करने तथा प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए बनाई गई कथित ख़बर का खंडन करने का कष्ट करें। धन्यवाद।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button