ब्रेकिंग : जेएनयू पहुंचे नक्सली हमले में पीड़ित घायल आदिवासी, सुनाएंगे अपनी आपबीती, नारे लगे, नक्सलवाद की कब्र खुदेगी, जेएनयू की धरती पर
बिगुल
नई दिल्ली से एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। नक्सली हमले में पीड़ित आदिवासियों की एक बस जब जेएनयू परिसर में पहुंची तो उसे बाहर ही रोक दिया गया। उसके बाद नक्सली हमले में अपंग हुए आदिवासी पैदल ही जेएनयू परिसर पहुंचे।
जानते चलें की नक्सली हमले में प्रभावित पीड़ितों का एक कार्यक्रम आज जेएनयू परिसर में रखा गया है वहां पर यह आदिवासी नक्सली हमले की विभीषिका, माओवाद की तथाकथित क्रांति के बहाने अत्याचार और बस्तर में नक्सली हमले से पीड़ित आदिवासी समुदाय अपनी आपबीती रखेगा तथा वहां पर जेएनयू के विद्यार्थियों को बुद्धिजीवियों को अपनी आपबीती सुनाएगा। इसीलिए यह आदिवासी आज नई दिल्ली पहुंचे हैं।
जेएनयू परिसर में आज उनका कार्यक्रम होना है लेकिन उनकी बस को जेएनयू परिसर के बाहर ही रोक दिया गया उसके बाद सभी पीड़ित आदिवासी पैदल ही जेएनयू परिसर पहुंचे।
जानते चले कि जेएनयू देश का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है और वहां पर वामपंथी और एसएफआई का दबदबा बना रहता है हालांकि पिछले कुछ सालों में राष्ट्रवादी विद्यार्थी संगठन एबीवीपी ने अपना दबदबा कायम कर लिया है लेकिन जेएनयू के वामपंथी विचारक आए दिन नक्सलियों के समर्थन में बयान जारी करते है, इसे लेकर आदिवासियों में आक्रोश है और वह बस्तर से नक्सलवाद का खात्मा चाहते हैं।
आदिवासी पैदल व अन्य संसाधनों से जेएनयू परिसर में अपनी बात रखने निकले। बस्तर शांति समिति के नक्सली आईईडी विस्फोट में पीड़ित लोग पहुंचे हैं। जेएनयू परिसर में छात्रों के साथ अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए बस्तर शांति समिति के सदस्य।