ब्रेकिंग : आठ करोड़ से बना महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क बदहाली की कगार पर, पूर्व सरकार द्वारा चलाई रही सभी गतिविधियां ठप्प

बिगुल
बलौदाबाजार. छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद कई सारी योजनाएं आई हैं, ओर पूर्व सरकार की कई योजनाओं को बंद भी किया गया है, ऐसी ही एक योजना महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क रीपा प्रोजेक्ट जो अब ठप्प पड़ चुका है। यहां पर पूर्व सरकार द्वारा चलाई रही सभी गतिविधियां ठप्प पड़ गई हैं। हम बात करेंगे बलौदा बाजार जिले के पलारी ब्लाक अंतर्गत ग्राम गिर्रा में बनाए गए महात्मा गांधी ग्रामीण औधोगिक पार्क की ।
यहां करोड़ की लागत से इंफ्रास्ट्रक्चर एवम विभिन्न प्रकार की मशीन लगाई गई है। जिसमे प्रमुख गोबर से पेंट बनाने की मशीन, पेवर ब्लाक मशीन, मिनरल वाटर, फ्लाई ऐश ब्रिक्स इत्यादि की मशीन। इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन अभी यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से बंद पड़े हुए हैं। इन सभी योजनाओं में अब ताला लग चुका है और यह पार्क वीरान पड़ा हुआ है।
पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा चलाई जाती थी योजनाएं
महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क वर्तमान में किस स्थिति में है इसकी जमीनी हकीकत को जानेंगे। यहां की स्थिति हम आपको बताना चाहेंगे कि पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा ग्रामीण इलाको की महिलाओं को विभिन्न प्रकार के रोजगार मिल सके एवं वह आत्मनिर्भर हो ,उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके इसलिए रीपा के माध्यम से गोबर कंपोस्ट बनाना, गोबर से पेंट बनाना कुकुट पालन फेंसिंग जाली निर्माण के अलावा आधा दर्जन से अधिक गतिविधियां यहां पर संचालित की जाती थी।
स्वसहायता समूह की महिलाओं के पास अब कोई रोजगार नहीं:
लेकिन जब से राज्य में सरकार बदली है, तबसे यह रीपा केंद्र जर्जर स्थिति में है। इन केंद्रों में ताला लग चुका है, एवं यह काम करने वाली स्वसहायता समूह की महिलाएं के पास अब रोजगार का कोई भी साधन नहीं है। यह रीपा केंद्र अब सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। पंचायत के प्रतिनिधि भी नहीं जानते कि इस बंद पूरी यूनिट का अब आगे क्या उपयोग होगा। अब देखना यह होगा कि ठप्प हो चुके इस योजना का वर्तमान में विष्णु देव सरकार क्या निर्णय लेती है, क्या यहां की ग्रामीण महिलाओं को फिर से रोजगार मिल पाएगा या फिर महिलाएं इसी तरह अपनी पुरानी स्थिति चूल्हा चौका में ही लगे रहेंगे।



