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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की मौत का मामला: फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ को हिरासत में लिया गया, दमोह जेल में था बंद

बिगुल
छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत के 18 साल पुराने मामले में कथित फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन कैम को हिरासत में लिया है। बिलासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने बताया कि यादव को गुरुवार को मध्य प्रदेश के दमोह जिला जेल से हिरासत में लिया गया और शुक्रवार सुबह बिलासपुर लाया गया।

2006 में हुई थी शुक्ला की मौत
कोटा विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन कांग्रेस विधायक और छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष (2000-2003) राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की अगस्त 2006 में बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में मौत हो गई थी। उनके बेटे प्रदीप शुक्ला ने हाल ही में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि यादव ने उनके पिता की हृदय शल्य चिकित्सा की थी। शिकायत के अनुसार, ऑपरेशन के बाद शुक्ला को 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया और 20 अगस्त, 2006 को उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल ने इलाज के लिए राज्य सरकार से 20 लाख रुपये लिए थे।
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फर्जी डिग्री और धोखाधड़ी के आरोप
बिलासपुर पुलिस ने 20 अप्रैल को यादव और निजी अस्पताल के खिलाफ गैर इरादतन हत्या (आईपीसी धारा 304), धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि यादव की डिग्री फर्जी है और उनका पंजीकरण भारतीय चिकित्सा परिषद या छत्तीसगढ़ चिकित्सा परिषद में नहीं है। पुलिस ने पाया कि यादव द्वारा इलाज किए गए एक अन्य मरीज, भगत राम डोडेजा की भी मौत हो गई थी।

दमोह में सात मरीजों की मौत का मामला
यादव को पहले मध्य प्रदेश के दमोह के मिशन अस्पताल में खराब सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को मिली शिकायत के बाद यह कार्रवाई हुई थी। यादव वहां जेल में बंद था।
यादव का बायोडाटा और दावे
इंदौर की एक रोजगार परामर्श फर्म के निदेशक ने बताया कि यादव ने 2020 से 2024 के बीच तीन बार अपना बायोडाटा भेजा था। 2024 में भेजे गए 9 पेज के बायोडाटा में यादव ने खुद को वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ बताया और दावा किया कि उन्होंने 18,740 कोरोनरी एंजियोग्राफी और 14,236 कोरोनरी एंजियोप्लास्टी सहित हजारों ऑपरेशन किए हैं। उन्होंने अपना स्थायी पता ब्रिटेन के बर्मिंघम में होने का भी दावा किया। हालांकि, यादव ने खुद को “बड़ी साजिश” का शिकार बताते हुए अपनी डिग्रियों को असली होने का दावा किया है।

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