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CBI ने कोर्ट में पेश किया सप्लीमेंट्री चालान, टामन सिंह सोनवानी को बताया घोटाले का मास्टरमाइंड

बिगुल
​छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच में बड़ा अपडेट सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में करीब 2000 पन्नों का फर्स्ट सप्लीमेंट्री चालान (First Supplementary Chargesheet) रायपुर की स्पेशल कोर्ट में दाखिल किया है। इस चालान में कई अहम खुलासे किए गए हैं और नए आरोपियों की भूमिका को विस्तार से बताया गया है।

क्या कहती है CBI की रिपोर्ट
CBI ने अपने चालान में टामन सिंह सोनवानी को CGPSC घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है। इसके अलावा एजेंसी ने चार अन्य लोगों आरती वासनिक, जनक राम ध्रुव, निशा कोसले और दीपा आडील को भी आरोपी बनाया है। इन सभी पर भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी कर योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार करने और रसूखदार परिवारों के लोगों को फायदा पहुंचाने के आरोप हैं। फिलहाल ये सभी आरोपी न्यायिक रिमांड में जेल में बंद हैं।

क्या है CGPSC घोटाला
यह घोटाला साल 2020 से 2022 के बीच आयोजित भर्ती परीक्षाओं से जुड़ा है। आरोप है कि परीक्षा और इंटरव्यू की प्रक्रिया में पारदर्शिता को नजरअंदाज कर राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव में गलत तरीके से चयन किए गए। योग्य अभ्यर्थियों की उपेक्षा कर डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य राजपत्रित पदों पर मनपसंद उम्मीदवारों को जगह दी गई। मामला गंभीर होते ही राज्य सरकार ने जांच CBI को सौंप दी।

CGPSC परीक्षा 2021 में कुल 171 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चलाई गई थी। प्रीलिम्स एग्जाम 13 फरवरी 2022 को हुआ, जिसमें 2,565 अभ्यर्थी पास हुए। इसके बाद 26 से 29 मई 2022 के बीच मेंस परीक्षा हुई, जिसमें 509 उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की। आगे 11 मई 2023 को इंटरव्यू प्रक्रिया के बाद अंतिम चयन सूची जारी की गई, जिसमें 170 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। इसी भर्ती प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगे।

CBI की कार्रवाई
CBI ने छापेमारी में कई दस्तावेज और अहम सबूत बरामद किए हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि सबूतों और गवाहों के आधार पर यह साबित होता है कि घोटाले की योजना सुनियोजित तरीके से बनाई गई थी। इस पूरे प्रकरण में अब तक कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का शराब घोटाला (Liquor Scam) पिछले दो सालों से राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। करोड़ों रुपए के इस कथित घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) दोनों शामिल हैं।

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