मिर्च की खेती ने किसानों को रूलाया, 5 रुपये किलो में बिक रही मिर्च, रोज करोड़ों का हो रहा नुकसान

बिगुल
सरगुजा संभाग में मिर्च की खेती करने वाले किसान खून के आंसू रो रहे हैं, क्योंकि किसानों ने जिस उम्मीद के साथ मिर्च की खेती शुरू की थी. अब उस उम्मीद पर पानी फिर गया है. बाजार में किसानों को मिर्च का सही रेट नहीं मिल पा रहा है, किसान इसकी वजह से मिर्च को नदियों में बहा रहे हैं तो कई किसानों ने खेत में ही मिर्च को छोड़ दिया है क्योंकि मिर्च को तोड़ने का लागत भी वसूल नहीं हो पा रहा है मिर्च के किसान हैरान परेशान है.
मिर्च की खेती ने किसानों को रूलाया
उत्तरी छत्तीसगढ़ के बलरामपुर और जशपुर जिले में मिर्च की खेती बड़े पैमाने पर किसान करते हैं. खासकर पठारी इलाकों में तो हर घर में मिर्च की खेती की जाती है, और मिर्च की खेती अक्सर फायदेमंद मानी जाती है लेकिन इस साल मिर्च का बाजार अचानक डाउन हो गया है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह मिर्च का बंपर उत्पादन को माना जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बरसात के सीजन में पैदा होने वाले मिर्च को ज्यादा दिनों तक मंडी में नहीं रखा जाता है और न ही लम्बी दूरी तक ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, क्योंकि मिर्च में पहले से बरसात का पानी पड़ा होता है, इसकी वजह से मिर्च जल्दी खराब हो जाती है. यही वजह है कि अब किसानों ने खेत में ही मिर्च को छोड़ दिया है.
5 रुपये किलो में बिक रही मिर्च
बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ ब्लाक के जारगिम निवासी आशीष यादव सहित कई युवा किसानों ने बताया कि उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की है और इसके बाद उन्होंने मिर्च की खेती को रोजगार का जरिया बनाना चाहा है लेकिन इस साल जिस तरीके से नुकसान हुआ है, उसे अब वे भी हताश और परेशान दिखाई दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने दुकानों से कर्ज लेकर खाद बीज खरीदा था अब उनके सामने कर्ज पटाने की चिंता सता रही है.
किसानों को हो रहा करोड़ों का नुकसान
सरगुजा संभाग के बलरामपुर और जशपुर में 2500 हेक्टेयर में मिर्च की खेती की गई है. 25 करोड़ रुपये खर्च क़र किसानों ने खेती की है. दो हजार किसानों ने खेती की है. वही एक हेक्टेयर में औसतन 96 क्विंटल मिर्च होता है और पांच रुपये किलो में मिर्च बिक रहा है मतलब एक हेक्टेयर के मिर्च की खेती से मात्र 48 हजार मिलेंगे, जबकि एक हेक्टेयर के मिर्च की खेती में न्यूनतम एक लाख रुपये खर्च होता है. मिर्च 20 रुपये किलो से कम में बिक रहा है तो किसानों को फायदा नहीं है. मिर्च का रेट नहीं बढ़ा तो किसानों को 15-20 करोड़ का नुकसान होगा.
सन्ना जनपद क्षेत्र के लोरो गांव में एक करोड़ की लागत से मिर्च प्रोसेसिंग यूनिट भी 10 साल पहले लगा था लेकिन यह यूनिट सालों से बंद पड़ा हुआ है जबकि इलाके में मिर्च की अत्यधिक खेती को देखते हुए प्रोसेसिंग यूनिट लगाया गया था ताकि किसानों को बाजार में मिर्च कम रेट पर बेचना पड़े तो प्रोसेसिंग यूनिट में मिर्च को बेचकर सही रेट प्राप्त कर सकें लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट बंद पड़ा हुआ है और इसे चालू करने की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुआ है.
उद्यान विभाग के उप संचालक कमलेश साहू ने कहा कि बाजार में मिर्च का रेट कम हो गया है और इससे किसानों को नुकसान हो रहा है लेकिन आने वाले दिनों में मिर्च का रेट सही होने का अनुमान है और तब किसानों को फायदा होगा.



