तीन करोड़ का गबन का मामला, लिपिक गिरफ्तार, 11 अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध पुलिस की कार्यवाही जारी
बिगुल
गरियाबंद।. मैनपुर स्वास्थ्य केंद्र में किए गए 3 करोड़ 13 लाख रुपए से अधिक के गबन के मामले में आरोपी बनाए गए 11 अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध पुलिस की कार्यवाही जारी है. मामले में गत दिवस स्वास्थ्य विभाग के पूर्व लिपिक वीरेंद्र भंडारी को गिरफ्तार कर न्यायालय के सुपुर्द किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया है.
मैनपुर स्वास्थ्य केंद्र में वेतन के विभिन्न लाभांश के नाम पर जिला कोषालय से मिलीभगत कर 3 करोड़ 13 लाख से अधिक की राशि निकाली गई थी. इस मामले में जिला प्रशासन ने जांच के उपरांत अपना प्रतिवेदन मैनपुर थाना में प्रस्तुत कर कार्यवाही की मांग की थी. गरियाबंद जिले में नियम विरुद्ध तरीके से पैसे निकालने के मामले में पुलिस ने तीन जिलों के कोषालय अधिकारियों समेत 11 कर्मियों पर केस दर्ज किया है। तत्कालीन बीएमओ ने कोषालय के अधिकारियों के साथ मिलकर 3 करोड़ की राशि गबन कर ली।
आरोप है कि गरियाबंद जिले में नियम विरुद्ध तरीके से करोड़ों रुपए निकालने के मामले में पुलिस ने तीन जिलों के कोषालय अधिकारियों समेत 11 कर्मियों पर केस दर्ज किया है। स्वास्थ्य विभाग के 60 कर्मियों के नाम से सरकारी खजाने से गलत तरीके से एरियर्स, इंक्रीमेंट और बोनस का फर्जी बिल तैयार कर 3 करोड़ 13 लाख रुपए से अधिक की रकम का गबन कर लिया गया। रिपोर्ट आने के दो साल बाद एफआईआर दर्ज की गई है.
मिली जानकारी के अनुसार, मामला मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा हुआ है। जहां वर्ष 2016-17 से 2019–20 के बीच 60 कर्मियों के नाम से सरकारी खजाने से 3 करोड़ 13 लाख 43 हजार 971 रूपये का गलत तरीके से निकाल कर आपस में बांट लिए गए। उस समय के तत्कालीन बीएमओ केके नेगी ने तत्कालीन जिला कोषालय के अधिकारियों के साथ मिलकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैनपुर में पदस्थ 60 कर्मियों के नाम से एरियर्स, इंक्रीमेंट, अतिरिक्त वेतन के नाम से फर्जी फाइल तैयार किया और पैसे निकाल लिए।
अधिकारी बिना सत्यापन के करते थे भुगतान
बीएमओ के द्वारा खुद प्रमाणित कर बिलों को कोषालय भेजा जाता था। फिर कोष अधिकारी बिना किसी सत्यापन के बिलों का भुगतान कर देते थे। इसके बाद ज्यादातर कर्मियों के भुगतान उनके खातों की बजाय खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा बताए गए पंजाब नेशनल बैंक के निजी खाते में किये गए थे। जिन कर्मियों के खाते में सीधा भुगतान चला जाता था, उन्हें गलती से भुगतान होना बता कर रूपये वापस मांग लिए जाते थे। इस तरह 3 साल में 3 करोड़ 13 लाख 40 हजार 971 रुपए निकाल लिए गए।