सीएम साय ने पाटन में हर्बल उद्योग को दी नई उड़ान: आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई और हर्बल एक्सट्रेक्शन यूनिट का किया लोकार्पण

बिगुल
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में हर्बल उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnu Deo Sai) ने दुर्ग जिले के पाटन (Patan) विधानसभा के जामगांव गांव में ऐतिहासिक पहल की। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा निर्मित आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई (Ayurvedic Processing Unit) और स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड (Sprayer Biotech Pvt Ltd) की हर्बल एक्सट्रेक्शन यूनिट (Herbal Extraction Unit) का लोकार्पण किया।
प्रधानमंत्री की गारंटी को साकार कर रही सरकार
मुख्यमंत्री साय ने इस मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की गारंटी को पूरी निष्ठा से पूरा किया जा रहा है। डेढ़ वर्षों में सरकार ने जनता से किए कई वादों को प्राथमिकता दी है। नई इकाइयों से न केवल आयुर्वेद (Ayurveda) को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि जंगलों में रहने वाले लोगों को भी प्रत्यक्ष लाभ होगा।
हर्बल इकाइयों से दो हजार लोगों को रोजगार
मुख्यमंत्री ने बताया कि इन तीन इकाइयों से करीब दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। प्रदेश का 44% हिस्सा वन क्षेत्र (Forest Area) है, जहां से महुआ (Mahua), साल बीज (Sal Seed), गिलोय (Giloy), अश्वगंधा (Ashwagandha) जैसी कच्ची सामग्रियां जुटाई जाएंगी।
यह प्रसंस्करण इकाई (Processing Unit) मध्य भारत की सबसे बड़ी होगी और ‘फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल’ (Forest to Pharmacy Model) को मजबूती देगी।
तेंदूपत्ता संग्राहकों को बड़ा फायदा
साय ने बताया कि तेंदूपत्ता संग्राहकों (Tendu Leaf Collectors) की दर 4,500 रुपये से बढ़ाकर 5,500 रुपये प्रति मानक बोरा कर दी गई है। इससे करीब 13 लाख परिवारों को सीधा लाभ होगा। इसके अलावा चरण पादुका योजना (Charan Paduka Yojana) को फिर से शुरू किया गया है।
‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़ने की अपील
उन्होंने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ (Ek Ped Maa Ke Naam) अभियान से जुड़ने की अपील भी की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आंवला (Amla) का पौधा रोपा, वन मंत्री कश्यप ने सीताफल (Custard Apple) और सांसद विजय बघेल (Vijay Baghel) ने बेल (Bel) का पौधा लगाया।
छत्तीसगढ़ हर्बल्स को मिलेगा नया बाजार
36.47 करोड़ रुपये की लागत से 27.87 एकड़ में बनी यह इकाई सालाना 50 करोड़ रुपये के हर्बल उत्पाद तैयार करेगी। यह छत्तीसगढ़ हर्बल्स (Chhattisgarh Herbals) ब्रांड को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाएगी।