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सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी से बच्चों की मौत, हाईकोर्ट ने माना गंभीर, शासन की रिपोर्ट का परीक्षण करने दिया आदेश

बिगुल
बिलासपुर. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी के चलते बीते पांच साल में 40 हजार बच्चों की मौत को हाईकोर्ट ने गंभीर माना है.

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि शासन की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि सरकारी अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर की कमी चिंताजनक हैं. दरअसल, सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था और सुविधाओं की कमी को लेकर खबर आई थी, जिसके मुताबिक पिछले पांच साल में शून्य से लेकर पांच साल की उम्र के 40 हजार बच्चों की मौत हुई है. इनमें 25 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत तो जन्म के महज एक माह के भीतर हो गई.

इसी तरह मृत जन्म यानी स्टिल बर्थ की संख्या भी 24 हजार से ज्यादा है. ऐसे में प्रदेश में औसतन हर साल 8 हजार से ज्यादा शिशुओं की मौत हो रही है. खबर को लेकर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया, और मामले की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई चल रही है. इस मामले की सुनवाई के दौरान शासन ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई, कोर्ट ने कहा, इस रिपोर्ट के अनुसार अस्पतालों में ऑक्सीजन और बेड की कमी है जो जरूरत से आधी है. कोर्ट ने शासन की रिपोर्ट का न्यायिक अधिकारी से परीक्षण कराने के बाद पेश करने के लिए कहा है.

बलौदाबाजार के अस्पताल रेफर सेंटर बन गए

सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के वजह से अस्पताल के नाम पर रिफर सेंटर बना हुआ है. जिले में लगभग 50 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद स्वीकृत हैं जिनमें केवल 15 डॉक्टर ही कार्यरत है. 150 बिस्तरों वाले जिला अस्पताल में सर्जन डॉक्टर नहीं है. भाटापारा में स्त्री रोग विशेषज्ञ,सर्जन व निश्चेतना के चिकित्सक नहीं है.

स्टैण्ड नहीं मिला तो बच्‍चे को थमा दी ग्लूकोज की बोतल

इतना ही नहीं लापरवाह स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों ने मरीज के मासूम बच्‍चे को ही स्टैंड बना दिया। इस मासूम के हाथ में ग्लूकोज की बोतल थमा दी गई और उसे हाथ ऊपर करके घंटों खड़ा रखा गया। जब तक बोतल नहीं चढ़ गया, तब तक बालक उसी स्थिति में खड़ा रहा। डाक्टर ड्रिप लगाकर जा चुके थे।

इस संबंध में बीएमओ प्रद्युम पटेल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। अन्य जिम्मेदार अधिकारी जवाब देने से बचते रहे। बता दें कि अभनपुर शासकीय अस्पताल में इससे पहले भी कई शिकायतें सामने आई हैं। क्षेत्र में एक बड़ा शासकीय अस्पताल अभनपुर का है, लेकिन यहां व्यवस्था ठीक नहीं है।

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