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पुलिस अधिकारी की पदोन्नति रद्द करना अवैध, हाई कोर्ट ने 3 माह में सभी को लाभ देने का दिया निर्देश

बिगुल
​छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने पुलिस विभाग को एक अहम झटका देते हुए उप निरीक्षक पद की पदोन्नति निरस्त करने के आदेश को अवैध और मनमाना करार दिया है. न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक द्वारा 8 अगस्त 2022 को जारी पदोन्नति निरस्तीकरण आदेश को रद्द करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता को उप निरीक्षक के पद पर पदोन्नति दी जाए और सभी परिणामी लाभ तीन माह के भीतर प्रदान किए जाएं. यह याचिका अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी और दीक्षा गौरहा की ओर से दाखिल की गई थी, जिसकी पैरवी अधिवक्ता दीक्षा गौरहा ने की.

पुलिस अधिकारी की पदोन्नति रद्द करना अवैध – हाई कोर्ट
ये पूरा मामला जशपुर जिले के थाना सोनक्यारी में पदस्थ उस समय के सहायक उप निरीक्षक कृष्ण कुमार साहू से जुड़ा है, जिनका नाम पुलिस मुख्यालय द्वारा 21 मई 2021 को जारी पदोन्नति पात्रता सूची में क्रमांक 138 पर शामिल था. पात्रता सूची के बाद 18 नवंबर 2021 को विभाग ने उन्हें कर्तव्य में लापरवाही के आरोप में वार्षिक वेतनवृद्धि रोकने की लघु सजा दी थी। इसी आधार पर डीजीपी ने उनकी पदोन्नति निरस्त कर दी थी.

याचिकाकर्ता और राज्य ने रखा पक्ष
अधिवक्ता दीक्षा गौरहा ने तर्क दिया कि पात्रता सूची जारी होने की तिथि पर याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडादेश अस्तित्व में नहीं था. इसलिए बाद में दी गई लघु सजा को पूर्व प्रभाव देकर पदोन्नति रद्द करना विधि के विरुद्ध है. साथ ही, विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) ने पहले ही उन्हें पदोन्नति के योग्य पाया था, अतः बाद में दी गई सजा को आधार बनाना पूर्णतः मनमाना निर्णय है. राज्य की ओर से तर्क दिया गया कि पात्रता सूची का अर्थ पदोन्नति नहीं होती और चूंकि बाद में दंड दिया गया, इसलिए पदोन्नति रोकी जा सकती थी.

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