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नवरात्रि में देवी नहीं बल्कि परेतिन की पूजा : छत्तीसगढ़ में है यह अनोखा मंदिर, जानें क्या है इसके पीछे की कहानी

बिगुल
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में परेतिन माता के दरबार में विशेष आयोजन किए जाते हैं। 108 मनोकामना ज्योति कलश स्थापना की जाती है। नवरात्र के नौ दिन बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगा रहता है। भले ही मान्यता अनूठी हो, लेकिन सैकड़ों सालों से चली आ रही परंपरा और मान्यता आज भी इस गांव में कायम है

भूत-प्रेत के नाम सुनते ही आम तौर पर लोग डर जाते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के एक गांव झिंका में परेतिन का मंदिर बनाया गया है, जहां उसकी पूजा की जाती है। नवरात्र में लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। जिन्हें परेतिन दाई के नाम से जाना जाता है। परेतिन दाई का नाम सुनकर लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं और मनोकामना के लिए ज्योति कलश जलाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार, दूसरे-दूसरे जिले से भी मां की दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं।

गांव की रहस्मय कहानी तब सामने आई जब अमर उजाला की टीम ने गांव के लोगों से बातचीत की। ग्रामीणों के अनुसार, कुछ सालों पहले जब मार्ग से होकर गुजरने वाले राहगीर इस स्थान को बिना प्रणाम किए यहां से गुजरते थे, तो उनके साथ कुछ ना कुछ अनहोनी या दुर्घटना हो जाती थी। तब से राहगीर इस स्थान पर रुककर वर्षों पुरानी नीम पेड़ को प्रणाम कर गुजरते हैं।

इसके साथ ही अपने पास रखें समान का कुछ अंश चढ़ा कर आगे बढ़ते थे। परिणामस्वरूप जिसके बाद अनहोनी होना बंद हो जाता था। ऐसे नहीं करने पर उस इंसान पर अनहोनी होना तय है। अब जो भी व्यक्ति इस जगह से होकर गुजरता है अपने गाड़ी का हॉर्न बजाकर या व्यापारी व्यवसाय से जुड़े सामग्री जैसे की दूध, सब्जी,ईटा, गिट्टी, रेत जैसे तमाम चीजों का कुछ अंश परेतिन दाई को भेंट करते हैं। इसके बाद ही वहां से आगे बढ़ते हैं।

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