बस्तर के सातों जिलों में थमी रही जिंदगी, संभाग में सुबह से नहीं खुली दुकानें, बसों के थमे पहिए, बस्तर संभाग बंद को व्यापारियों का समर्थन
बिगुल
जगदलपुर. बस्तर संभाग में आज सब कुछ थम सा गया. सातों जिलों में बंद का असर दिखाई दिया. व्यापारिक प्रतिष्ठान, आवागमन, उदयोग धंधे कारोबार सब कुछ बंद रहा. पीडिया नक्सली मुठभेड़ मामले में सर्व आदिवासी समाज ने आज बस्तर बंद का ऐलान किया था जो काफी सफल रहा.
इस बीच मामले में सियासत जारी है। आदिवासी समाज संगठन ने लोगों से सहयोग करने की मांग की है। बस्तर बंद को समर्थन बस्तर चैंबर ऑफ कॉमर्स ने दिया है। इसी के साथ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी इसका समर्थन किया है।
बसों के पहिए थमे
जगदलपुर, बीजापुर और सुकमा में सुबह से ही दुकानें नहीं खोली गई हैा। यात्री बसों के पहिए थम गए हैं। यहां की सड़क सुनसान दिखाई दे रही है। बस्तर संभाग के सभी 7 जिलों में बंद का असर दिख रहा है। इस बंद के बीच केवल इमरजेंसी सेवाएं जिनमें मेडिकल समेत अन्य दुकानें ही खुली हैं. बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर और कोंडागांव इन सभी जिलों में बंद का असर दिख रहा है। जहां सभी जिलों के व्यापारियों ने बंद को समर्थन दिया है।
दोषियों पर कार्रवाई की मांग
बता दें कि बस्तर के पीडिया में 10 मई को सुरक्षाबल और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें पुलिस के द्वारा 12 नक्सलियों को मार गिराने की पुष्टि की थी। इसके बाद पीडिया क्षेत्र के ग्रामीणों ने इस मुठभेड़ पर आपत्ति जताई। साथ ही पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस के द्वारा ग्रामीणों की हत्या की गई है, जिन्हें जबरदस्ती नक्सली बताकर मार दिया गया है। इस मामले में तूल पकड़ा और कांग्रेस ने इसकी जांच भी कराई। वहीं सर्व आदिवासी समाज ने भी 58 सदस्यीय कमेटी का गठन कर पीडिया इलाके में जाकर ग्रामीणों और मृतकों के परिजनों से मुलाकात की। इसके बाद सर्व आदिवासी समाज ने इस मुठभेड़ की जांच कराने की मांग की है। इसके साथ ही दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
बस्तर के सभी चौक-चौराहों पर पुलिसबल तैनात हैं। इस दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सहमति बनी है। दूसरी ओर कल एक दिन पहले ही सगंठन के सदस्य शहर और ग्रामीण क्षेत्रों की दुकानों पर पहुंचे थे, जहां आज दुकान बंद करने की अपील की गई थी। इस बंद का असर सुबह के समय तो दिखाई दिया।