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पूर्व कलेक्टर इफ्फत आरा के खिलाफ जांच के आदेश, पुनर्वास की जमीन को बेचने की अनुमति देने और करोड़ों की वसूली के आरोप, आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी का गंभीर आरोप

पूरे मामले की शिकायत भारत सरकार से की है, जिस पर भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय के अवर सचिव रूपेश कुमार ने छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजते हुए शिकायत पर जांच का आदेश दिया है. आरटीआई कार्यकर्ता डीके सोनी ने बताया कि सूरजपुर के तत्कालीन कलेक्टर इफ्फ़त आरा के विरुद्ध उन्होंने 20 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष दस्तावेजों सहित शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि सूरजपुर क्षेत्र में बंगाली शरणार्थियों को सरकार के द्वारा आजीविका के लिए दिए गए पुनर्वास के करीब 27 हेक्टेयर जमीन को बेचने कलेक्टर ने ट्रांसफर के बाद बेक डेट में आदेश जारी किया.

पुनर्वास की जमीन को बेचने के नाम पर करोड़ों की वसूली
तत्कालीन कलेक्टर सूरजपुर द्वारा भू माफियाओं से साठ-गांठ कर पुनर्वास भूमि की बिक्री करने के अनुमति देने अवैध तरीके से लाखों रुपए प्रति डिसमिल की दर से राशि ली गई और पूर्व कलेक्टर के द्वारा कुल 31 केश में अनुमति दी गई जिसमे बिना किसी दस्तावेज के जांच किए अनुमति दी गई है. क्रेता विक्रेता का हस्ताक्षर भी अपने सामने सुनवाई नहीं कराई गई. सुनवाई किए बगैर स्थानांतरण होने के बाद बेक डेट में सभी केशो में अनुमति दी गई है.

तत्कालीन कलेक्टर को भूमि दलाल सभी क्रेता विक्रेता से अनुमति देने के एवज में राशि वसूल कर देता था और उमर सुन्नी उर्फ गुड्डू खान तथा क्लर्क संदीप विश्वकर्मा भी इसमें शामिल हैं. जिसके माध्यम से करोड़ो रुपए की वसूली की गई है. उमरसुन्नी उर्फ गुड्डू खान के द्वारा आदिवासी महिला के नाम पर भी कई जमीन लिया है जिसकी भी जांच करने की मांग की गई है. मामले की शिकायत पुलिस महानिदेशक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया है जिसकी जांच लंबित है.

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