पूर्व में स्वीकृत राशि से ही बनेगा स्काईवॉक’: राजेश मूणत ने कहा- कांग्रेस ने पांच साल तक किया भ्रष्टाचार

‘बिगुल
छत्तीसगढ़ के पूर्व कैबिनेट मंत्री और रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत ने राजधानी रायपुर के ड्रीम प्रोजेक्ट स्काई-वॉक पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि स्काई वॉक के लिए अलग से बजट का प्रावधान नहीं है। पूर्व में स्वीकृत राशि से ही इसे बनाया जायेगा। इस मामले में कांग्रेस केवल राजनीति कर रही है। इस प्रोजेक्ट को लेकर कांग्रेस शासनकाल में हुई राजनीति और अड़ंगेबाजी पर कांग्रेस पर जमकर तीखा हमला बोला है। मूणत ने आरोप लगाते हुए कहा कि भूपेश सरकार में विकास नहीं केवल भ्रष्टाचार किया गया। उसके पास विकास का विजन ही नहीं है।
इस निर्माण कार्य को लेकर प्रशासनिक स्वीकृति के रूप में 37 करोड़ रुपए आवंटन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उप मुख्यमंत्री/लोक निर्माण मंत्री अरुण साव का आभार जताया है। भाजपा विधायक कहा कि डेवलपमेंट विजन के साथ स्काई वॉक निर्माण कार्य डॉ. रमन सिंह के के मुख्यमंत्रित्व काल में सरकार की प्रक्रियाओं का शत-प्रतिशत पालन किया गया था। 2016-17 में बजट में प्रावधान करके शास्त्री चौक से जयस्तंभ चौक और शास्त्री चौक से जेल तिराहे तक जो लोग पैदल चलते हैं, उसके कारण ट्रैफिक डिस्टर्ब होता है, तेज रफ्तार वाहनों के कारण दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है, उस दृष्टि से अध्ययन करने के उपरांत 2016-17 में बजट में इसका प्रावधान किया गया। सरकार ने उसकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी की। उसी वर्ष प्रशासनिक एजेंसी ने सर्वे करने के लिए एजेंसी का टेंडर आमंत्रित किया, जिसमें दो एजेंसी ने भागीदारी की। स्काई व़क की उपयोगिता और आवश्यकता पर डिटेल सर्वे आया।
‘तब कांग्रेस ने नहीं उठाया सवाल’
उन्होंने कहा कि सर्वे आने के बाद इसके तीन प्रेजेंटेशन इस रायपुर शहर के अंदर हुए, जिसमें नगर निगम के उस समय की महापौर डॉ. किरणमयी नायक, सत्यनारायण शर्मा, प्रमोद दुबे, निगम कमिश्नर, कलेक्टर, यातायात विभाग के अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सब लोगों ने संयुक्त रूप से इस प्रेजेंटेशन को देखा और सब लोगों ने अपने सुझाव के अनुसार उसमें सुझाव भी दिए। उन सुझावों का समावेश करने के उपरांत फाइनल इस्टीमेट बनाकर राज्य सरकार को टेंडर की प्रक्रिया और प्रशासनिक स्वीकृति के लिए आवेदन किया गया। पीडब्ल्यूडी की ओर से प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के उपरांत टेंडर हुआ। साल 2017 में यह काम चालू हुआ। जिस दिन उसका भूमिपूजन हुआ, उस दिन रायपुर के समाचार पत्रों में विज्ञापन के साथ-साथ पूरी डिटेल जनता के बीच रखी गई। विधानसभा में कभी भी कांग्रेस पार्टी के किसी नेता ने कोई सवाल नहीं उठाया। कभी कोई बात नहीं की।