खास खबर : छत्तीसगढ़ी राजभाषा शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल होगी, मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत किया अनिल दुबे ने, बोले कि छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी का आंदोलन सफल रहा
बिगुल
रायपुर. छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी के अध्यक्ष अनिल दुबे और उनके साथियों ने छत्तीसगढ़ी को अब राजकाज की भाषा बनाने का फैसला करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार जताया है. श्री दुबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी 1983 से इसके लिए लगातार आंदोलन कर रही थी और अंतत: वह सफल रहा.
श्री दुबे के अलावा दाऊ जी. पी.चंद्राकर, दीनदयाल वर्मा, जागेश्वर प्रसाद, लालाराम वर्मा, चेतन देवांगन, गिरधारी सिंह ठाकुर, बृजबिहारी साहू, गोवर्धन वर्मा, महेंद्र कौशिक, छन्नूलाल साहू, श्रीधर चंद्राकर, गणपति पटेल, अशोक कश्यप, भुवनलाल पटेल, रूपसिंग निषाद, वेगेन्द्र सोनवेर, परसराम ध्रुव, चूड़ामणि पटेल, अलखराम साहू, टेनसिंह पटेल, मुनुबाई पटेल ने भी छत्तीसगढ़ी को प्रदेश के राजकाज की भाषा बनाने के फैसले पर खुशी जताई है.
श्री दुबे ने बताया कि राज्य आंदोलनकरियों ने अपने 1965 के घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा को राजभाषा का दर्जा, स्थानीय लोगों को शत प्रतिशत रोजगार, कृषि को उद्योग का दर्जा, घोषित समर्थन मूल्य का किसानों के लिए बाजार, गांव-गांव लघु और कुटीर उद्योग को लेकर आंदोलन शुरू किया था. आज राज्य निर्माण के पश्चात ये मांगें पूरी हो रही है। यह है राज्य निर्माण का परिणाम और स्थानीय छत्तीसगढ़ियों की सरकार का योगदान।
इसलिए स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की यह घोषणा प्रदेशवासियों के लिए गौरवशाली है कि मातृभाषा छत्तीसगढ़ी राज्य के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी. इसके लिए मुख्यमंत्री को साधुवाद. छत्तीसगढ़ी भाषा को मान्यता दिलाने राज्य आंदोलनकारी बहुत उपहास का पात्र होते थे लेकिन अपनी मातृभाषा संस्कृति बचाने के लिए संघर्ष करते रहे. राजभाषा का पाठ्यक्रम में शामिल होना छत्तीसगढ़ के लिए खुशी और समृद्धि की बात है।
खास खबर : छत्तीसगढ़ी राजभाषा शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल होगी, मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत किया अनिल दुबे ने, बोले कि छत्तीसगढ़ी समाज पार्टी का आंदोलन सफल रहा