राज्य सरकार ने रिटायर DG को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, दूसरी बार मानवाधिकार आयोग में पोस्टिंग, आदेश जारी
बिगुल
रायपुर :- छत्तीसगढ़ के डीजी पद से रिटायर हुए आईपीएस गिरधारी नायक को राज्य सरकार ने फिर से मानवाधिकार आयोग का सदस्य नियुक्त किया है। प्रभारी चेयरमैन का आदेश उनका अलग से निकलेगा। बता दें, जस्टिस राजीव गुप्ता के रिटायर होने के बाद इस पद पर किसी रेगुलर चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हुई है। मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन का पद हाई कोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस के लिए है। नायक को मेम्बर बनाने के बाद 19 नवंबर 2020 को आयोग का प्रभारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
1983 बैच के आईपीएस गिरधारी नायक 30 जून 2019 को डीजी जेल और होमगार्ड से रिटायर हुए थे। इसके बाद सरकार ने उन्हें पोस्ट रिटायरमेट पोस्टिंग देते हुए मानवाधिकार आयोग में मेम्बर अपाइंट किया था। 16 नवंबर 2022 उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था। मगर नौ महीने के ब्रेक के बाद सरकार ने उन्हें फिर से मानवाधिकार आयोग में सदस्य नियुक्त किया है। चूकि सबसे सीनियर मेम्बर रहेंगे नायक इसलिए उन्हें प्रभारी चेयरमेन का चार्ज भी सौंपा जाएगा।
सदस्य नियुक्त को राज्यपाल के हवाले से राजपत्र में प्रकाशित कर दिया गया है। मानवाधिकार आयोग में चेयरमेन और सदस्य का कार्यकाल तीन साल का रहता है। अधिकतम 70 वर्ष की आयु तक आयोग में नियुक्ति हो सकती है। चूकि 4 अक्टूबर 2023 को उनका आदेश निकला है। लिहाजा, वे 3 अक्टूबर 2026 तक इस पद पर रहेंगे। इस आयोग मे पुनर्नियुक्ति का प्रावधान है। सरकार चाहेगी तो उन्हें तीसरी बार भी नियुक्ति मिल सकती है। क्योंकि, 2029 में वे 70 साल के होंगे।
राज्य मानव अधिकार आयोग के प्रभारी अध्यक्ष बनाए गए गिरधारी लाल नायक 1983 बैच सेवानिवृत्त आईपीएस हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब 35 साल की नौकरी के बाद जून 2019 में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने अपनी सरकारी सेवा की शुरुआत जून 1985-86 में छिंदवाड़ा से एएसपी के रूप में की थी। इसके बाद वे इंदौर और रायपुर ग्रामीण के एएसपी रहे। 1988 में एसपी के रुप में मंडला जिला में उनकी पदस्थापना हुई, जहां वे 1991 तक रहे। इसके बाद बतौर एसपी उन्होंने धार और रायसेन जिला में भी काम किया। इसके बाद उन्होंने भोपाल स्थित पुलिस मुख्यालय में एआईजी (शिकायत) की जिम्मेदारी दी गई।
नायक 1994 से 1997 तक बिलासपुर में एसपी रहे। इसके बाद 12वीं बटालियन के कमांडेड के रूप में सेवाएं दी। 1999 से 2002 तक प्रतिनियुक्ति के दौरान उन्होंने हैदराबाद स्थित सरकार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के उप निदेशक रहे। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद उन्हें सीजी कैडर मिला। यहां बस्तर रेंज में पहले डीआईजी फिर आईजी रहे।