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नक्सलियों की अपील को हाईकोर्ट ने किया खारिज, लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बताया खतरा

बिगुल
11 मार्च 2014 में आईईडी ब्लास्ट कर 15 सुरक्षाकर्मी व चार आम नागरिकों को बलिदान करने वाली नक्सलियों की अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने नक्सली हमले को लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साजिश हमेशा गुप्त रूप से रची जाती है और ऐसा करना मुश्किल हो सकता है इसके प्रत्यक्ष साक्ष्य जोड़ें। प्रत्यक्ष या परिस्थितिजन्य ऐसे साक्ष्यों से निस्संदेह सिद्ध होता है।

बता दें कि 11 मार्च 2014 को टाहकवारा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 30, एक सड़क दल जिसमें 30 कर्मी शामिल थे। 80वीं बटालियन केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की ‘एफ’ कंपनी सीआरपीएफ और 13 पुलिस कर्मी तोंगपाल पुलिस स्टेशन के 13 पुलिसकर्मी शामिल थे। सड़क निर्माण में लगे कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए। रोड ओपनिग पार्टी (आरओपी) प्रात: 09:00 बजे 03 अनुभागों में थाना तोंगपाल से रवाना हुए। जब पहला खंड करीब चार किमी दूर ग्राम टाहकवारा के पास पहुंचा सुबह करीब 10,30 बजे पुलिस थाना तोंगपाल दरभा की ओर हथियारों से लैस दरभा डिवीजन के माओवादी कैडरों का नेतृत्व सुरेंद्र, देवा, विनोद, सोनाधर ने आरओपी पर घात लगाकर हमला कर दिया।

करीब एक घंटे तक फायरिंग होती रही। फायरिंग और आईईडी विस्फोट पर 15 सुरक्षाकर्मी (11 सीआरपीएफ और चार राज्य पुलिस कर्मी, तीन अन्य कर्मी बलिदान हो गए। गंभीर रूप से घायल पास से गुजर रहे एक स्थानीय नागरिक की भी मौत हो गई। घटना के बाद माओवादी शहीदों और घायल कर्मियों के हथियार और सामान लूट लिया, जो इसमें 3 अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर समेत 6 एके-47 राइफलें शामिल हैं (यूबीजीएल) भी लगाए गए, एक इंसास एलएमजी, 8- इंसास और 2 एसएलआर और गोलियां भी शामिल थीं, हथियार लूटने के बाद नक्सली दोनों तरफ जंगल में भाग गये।

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