दिव्यांग आरक्षण तय करने का अधिकार सरकार का, प्रोफेसर-भर्ती मामले में दृष्टिबाधित अभ्यर्थी की याचिका खारिज

बिगुल
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ कर दिया है कि दिव्यांग अभ्यर्थियों (Divyang Reservation in Recruitment) के लिए आरक्षण किस पद पर लागू होगा, यह तय करना सरकार और नियुक्ति-कर्ता का विशेषाधिकार है। कोर्ट ने कहा कि नियोक्ता बेहतर तरीके से जान सकता है कि किसी पद पर कौन-सा दिव्यांग श्रेणी उपयुक्त है।
यह फैसला छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (Chhattisgarh PSC) द्वारा वर्ष 2019 में शुरू की गई सहायक प्राध्यापक भर्ती (Assistant Professor Recruitment 2019) को लेकर दायर याचिका पर आया। इस भर्ती में वाणिज्य विषय (Commerce Subject) के दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को आरक्षण नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
क्या है पूरा मामला?
PSC ने 2019 में 1384 पदों के लिए सहायक प्राध्यापक भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें वाणिज्य विषय के 184 पद भी शामिल थे। 5 मार्च 2019 आवेदन की अंतिम तिथि थी। हालांकि, 23 फरवरी 2019 को आयोग ने एक संशोधित आदेश जारी किया, जिसमें दिव्यांग अभ्यर्थियों (PWD Reservation) के पदों की संख्या और श्रेणियों में बदलाव किया गया।
रायगढ़ की रहने वाली सरोज क्षेमनिधि ने यह कहते हुए हाईकोर्ट (CG High Court) में याचिका दायर की कि वाणिज्य विषय में दृष्टिहीन और अल्प दृष्टि वाले अभ्यर्थियों को 2% आरक्षण नहीं दिया गया। सरोज ने परीक्षा पास की और इंटरव्यू तक पहुंची, लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया।
खुद की पैरवी करने उतरीं याचिकाकर्ता
दिलचस्प बात यह रही कि सुनवाई के दौरान सरोज के वकील ने केस से नाम वापस ले लिया। इसके बाद उन्होंने खुद कोर्ट में अपनी पैरवी की। सरोज का तर्क था कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act 2016) के तहत वाणिज्य विषय में भी दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को 2% आरक्षण मिलना चाहिए था, लेकिन PSC ने नियमों का पालन नहीं किया।
सरकार और PSC का पक्ष
राज्य सरकार और PSC ने कोर्ट में साफ किया कि वाणिज्य और विज्ञान विषयों में कार्य की प्रकृति को देखते हुए दृष्टिबाधित उम्मीदवारों के लिए आरक्षण संभव नहीं है। सरकार ने कहा कि कला संकाय (Arts Faculty) में ही दृष्टिहीन उम्मीदवारों के लिए पद आरक्षित हैं। वहीं वाणिज्य और विज्ञान में एक हाथ और एक पैर श्रेणी के दिव्यांगों (Locomotor Disability) को पहले से आरक्षण दिया जा रहा है।
हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि नियोक्ता प्राधिकारी यह तय करने का अधिकार रखता है कि किस पद पर कौन-सा दिव्यांग श्रेणी उपयुक्त है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चयन प्रक्रिया पूरी होने और असफल हो जाने के बाद कोई भी अभ्यर्थी आरक्षण या रोस्टर सिस्टम को चुनौती नहीं दे सकता।
राष्ट्रीय स्तर पर क्या है प्रावधान?
RPWD Act 2016 के तहत केंद्र सरकार ने 21 प्रकार की दिव्यांगता श्रेणियों (Disability Categories) को मान्यता दी है। इसमें दृष्टिबाधित (Blindness & Low Vision), श्रवण बाधित, मानसिक रोग (Mental Illness) सहित कई शामिल हैं। अधिनियम कहता है कि सरकारी नौकरियों में न्यूनतम 4% आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन, किस पद पर कौन-सी दिव्यांग श्रेणी लागू होगी, यह नियोक्ता की सिफारिश और पद की प्रकृति पर निर्भर करता है।