कहानी उस महिला नक्सली की जिसकी दुर्दांत डाकू विरप्पन से होती थी तुलना… जानिए वारदातों में सुजाता ने कैसे पार किया 100 का आंकड़ा?

बिगुल
80-90 के दशक में नक्सलवाद को गढ़ने वाले नक्सली नेता अब बूढ़े हो चले हैं. सभी लगभग 60-70 की उम्र पार कर चुके हैं और बीमारी के शिकार भी हुए. बेहद खतरनाक महिला नक्सली सुजाता को उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब वो इलाज के लिए तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के महबूबनगर गई हुई थी.
महिला नक्सली सुजाता की कहानी
60 वर्षीय सुजाता उर्फ सुजातक्का उर्फ कल्पना नाम से मशहूर महिला नक्सली बेहद खतरनाक और बड़ी मास्टरमाइंड थी. यूं तो सुजाता तेलंगाना के जोगुलंबा गढ़वाल के पेंचीकालपेट गांव की रहने वाली है, लेकिन उसने बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में आंतक फैला रखा था. सुजाता 12वीं तक पढ़ी है और उसे कई भाषाओं में महारत हासिल है. सुजाता अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, ओड़िया, तेलुगु, मराठी, गोंडी और हल्बी बोली जानती है. अलग-अलग राज्यों में उसे विभिन्न नामों से जाना जाता था, जैसे- बंगाल में पद्मा, महाराष्ट्र में मैनीबाई, इत्यादि.
हिड़मा को दी थी हथियार चलाने की ट्रेनिंंग
सुजाता ने काफी कम उम्र में ही हिंसा का रास्ता चुन लिया था. उसने 80 के दशक में नक्सली नेता किशनजी से शादी की और तभी से नक्सल संगठन से जुड़ गई. कहा जाता है सुजाता ने ही खूंखार नक्सली हिड़मा को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी और उसे बड़ा नक्सली नेता बनाया. महिलाओं को नक्सल संगठन में भर्ती कराने और उनके लिए संगठन में जगह बनाने में सुजाता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. नक्सल संगठन में सुजाता कई पदों पर काम कर चुकी है. इस दौरान वो दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी की प्रभारी भी रही. खूंखार नक्सली रमन्ना के मारे जाने के बाद सुजाता को दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रभारी का पद दिया जा रहा था, लेकिन अपने स्वास्थ्य को देखते हुए सुजाता ने प्रभार लेने से इनकार कर दिया था. हालांकि, वर्तमान में वो साउथ सब जोनल ब्यूरो की प्रभारी सचिव थी. इसमें सुकमा और बीजापुर के तीन प्रमुख डिविजन आते हैं.
बंगाल से बस्तर तक का सफर
खतरनाक महिला नक्सली सुजाता की शादी बड़े नक्सली नेता रहे कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी से हुई थी. किशनजी का पूरा परिवार नक्सल संगठन से जुड़ा है. सबसे पहले सुजाता 80 के दशक में पति किशनजी के साथ बंगाल से बस्तर आई थी, लेकिन फिर किशनजी की पोस्टिंग बंगाल में कर दी गई. यहां सुजाता भी उसके साथ ही रहती थी. बंगाल में सुजाता के पति किशनजी को पुलिस ने मार गिराया, जिसके बाद सुजाता बंगाल से छत्तीसगढ़ के बस्तर आ गई. हार्डकोर नक्सल नेताओं में से एक सुजाता ने पति की मौत के बाद भी नक्सल संगठन नहीं छोड़ा. आमतौर पर नक्सल संगठन से जुड़ी महिलाएं पति की मौत के बाद संगठन छोड़ देती हैं, लेकिन सुजाता ने न तो समर्पण किया और न ही संगठन छोड़ा. सुजाता का देवर (नक्सल नेता किशनजी का भाई) सोनू उर्फ भूपति नक्सल संगठन में सेंट्रल कमेटी का सदस्य है और उसकी पत्नी भी नक्सली नेता है.
100 से ज्यादा नक्सली हमलों की मास्टरमाइंड
बस्तर में सुजाता ने नक्सलियों के थिंक टैंक की तरह काम किया। यहां हुए लगभग सभी नक्सली हमले में सुजाता बतौर मास्टरमाइंड शामिल थी, जिसमें कई जवान समेत आम लोग और नेता मारे गए. इसमें अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में हुए हमले में 76 जवानों की मौत, 2010 में ही गादीरास में 36 जवानों की मौत, साल 2013 में हुए झीरम घाटी कांड में 31 मौतें फिर 2017 में चिंतागुफा में 25 जवान, मिनपा में 17 जवान, टेकुलगुड़ेम में 21 जवानों का बलिदान शामिल है. इसके अलावा साल 2007 में एर्राबोर के उरपलमेटा में CRPF और जिला पुलिस के जवानों पर नक्सलियों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें कुल 23 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में भी सुजाता शामिल रही थी. उसपर नक्सल प्रभावित राज्य, जैसे- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर एक करोड़ का इनाम घोषित था.
सुजाता की विरप्पन से होती थी तुलना
एक जमाने में सुजाता का मध्य भारत की जंगलों में सिक्का ठीक वैसे ही चलता था, जैसे चंदन तस्करी में वीरप्पन का. एक वक्त था जब सुजाता वीरप्पन की तरह बस्तर के जंगलों में राज करती थी. जैसे वीरप्पन ने तस्करी की दुनिया में खूब नाम कमाया. उसने सालों तक वन विभाग और पुलिस से छुपकर चंदन और हाथी के दांत की तस्करी की. ठीक वैसे ही सुजाता भी जंगलों में रहकर नक्सल अभियान में जुटी रही. सुजाता के हाथों में नक्सलियों के लिए खाना बनाने से लेकर महिलाओं को नक्सल संगठन से जुड़ने की सलाह देना और हथियार चलाना सिखाने तक की कमान थी. वीरप्पन कई राज्यों में वांटेड था, और अलग-अलग राज्यो में उसपर 2 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. ठीक वैसे ही बेहद खतरनाक महिला नक्सली सुजाता का भी 3 दशक से कई राज्यों में आतंक था, कई मामलों में वो वांटेड थी और उसपर 1 करोड़ का इनाम भी घोषित था.
कैसे हुई सुजाता की गिरफ्तारी?
लंबे समय तक छत्तीसगढ़ के बीजापुर के तर्रेम थाना के भट्टीगुड़ा, तुमलपाट और मीनागुट्टा के जंगलों में रहने के बाद सुजाता अपने गृहराज्य तेलंगाना वापस आ गई थी. जानकारी के मुताबिक सुजाता लंबे समय से बीमार थी. उसके दोनों घुटने खराब हो चुके थे, जिनके इलाज के लिए वो छत्तीसगढ़ के बस्तर से तेलंगाना के कोत्तागुड़म के महबूब नगर गई थी. जैसी ही इसकी जानकारी सुरक्षाबल के जवानों को लगी. जवानों ने 18 अक्टूबर 2024 को सुजाता को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद नक्सलियों के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो, समाता ने एक विज्ञापन जारी किया गया, जिसमें लिखा था कि सुजाता की गिरफ्तारी सिर्फ सरकारों की साजिश का हिस्सा है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) को खत्म करने के लिए सरकार साम, दाम, दंड और भेद का इस्तेमाल कर रही है. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है. साथ ही दंडकारण्य में शांति स्थापित करने के लिए संघर्ष करने और देश की संपत्ति की रक्षा करने की अपील की गई थी.



