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महिला ने ही पिता और नाबालिग युवक के साथ मिलकर की थी हत्या, ब्लैकमेलिंग के चलते ठेकेदार का मर्डर

बिगुल

कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम भोलगढ़ में 31 अक्टूबर की सुबह दिलीप यादव पिता प्रीतम यादव उम्र 35 वर्ष निवासी बनगवा थाना भालूमाडा का शव पेड़ पर लटकता हुआ मिला था। मृतक के भांजे ने घटना की सूचना कोतवाली पुलिस में दी। इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मर्ग कायम करते हुए मामले की जांच शुरू की

ब्लैकमेलिंग के कारण कर दी हत्या
पुलिस जांच टीम ने घटनास्थल से मिले साक्ष्यों, मृतक दिलीप यादव एवं संदेहियों के मोबाइल नम्बर की कॉल डिटेल एवं साक्षियों से पूछताछ के आधार पर उक्त मामले में हत्या का खुलासा किया है। पुलिस को मृतक के शव के गले में नाखूनों के निशान और गर्दन में पीछे की ओर कुछ चोट के संदिग्ध निशान मिले हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डाक्टर ने दिलीप यादव की मौत गला घोंटने से होना बताया है। पुलिस ने जांच पर पाया कि मृतक दिलीप यादव निवासी ग्राम बनगवां सिविल ठेकेदारी का काम करता था। उसके साथ भोलगढ़ का रहने वाला बैजनाथ भी मजदूरी किया करता था। मृतक दिलीप यादव का ग्राम भोलगढ़ में बैजनाथ यादव के घर में पिछले कुछ सालों से आना जाना था। विगत डेढ़ दो साल से बैजनाथ पाव मुम्बई में रहकर मजदूरी कर रहा था। इसी बीच बैजनाथ पाव की पत्नी कलावती पाव से मृतक दिलीप यादव के प्रेम संबंध बन गए जो प्रायः ठेकेदार दिलीप यादव काम से लौटते वक्त शाम रात को भोलगढ़ के पास जंगल में महिला से मिला करता था।

गला घोंटकर मार दिया
विगत कुछ दिनों से ठेकेदार महिला को बदनाम करने का डर दिखाकर बीस हजार रुपये ऐंठ लिया था और फिर से बीस हजार रुपये की मांग कर रहा था, इससे परेशान होकर 30 अक्टूबर की शाम महिला कलावती पाव ने अपने मोबाइल से बात करके दिलीप यादव को अपने घर के पीछे भोलगढ़ के जंगल में बुलाकर मिली और बातों में लगा लिया। तभी पीछे से पहुंचकर महिला के पिता बारेलाल पाव व एक नाबालिग ने दिलीप यादव को पकड़कर गला घोंटकर मार दिया और हत्या को छुपाने के लिए तीनो ने मिलकर वहीं पास में लगे महुआ के पेड़ की डगाल पर गमछे से फांसी पर टांग दिया जिससे सभी को लगे कि ठेकेदार ने खुद फांसी लगाई है।

कॉल डिटेल से खुले राज
पुलिस ने जांच के दौरान ठेकेदार दिलीप यादव के मोबाईल नम्बर और महिला कलावती पाव के मोबाइल नम्बरों के कॉल डिटेल प्राप्त कर जांच की। जिसमें पाया कि दोनों के बीच विगत डेढ़ दो सालों से रोजाना अनेक बार देर रात बातचीत हुआ करती थी। शाम अंधेरा होने के बाद दोनों भोलगढ़ के पास जंगल में मिला करते थे।

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