मध्यप्रदेश के 36 हजार सरकारी स्कूलों में बिजली नहीं, कैसे चलेंगी स्मार्ट कक्षाएं
बिगुल
भोपाल :- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत आनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट क्लास रूम और कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया गया है, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। प्रदेश के एक लाख 22 हजार सरकारी स्कूलों में से 36 हजार में बिजली ही नहीं है, ऐसे में स्मार्ट क्लास संचालित करना नामुमकिन है। 1200 स्कूलों में तो सिर्फ नाम के लिए स्मार्ट क्लास शुरू किए गए हैं। यहां तीन साल में कोई सुधार नहीं हुआ है। यही नहीं, कई स्कूलों की हालत तो इतनी खराब है कि वहां पढ़ाने के लिए ब्लैक बोर्ड तक नहीं है।
राजधानी के एमएलबी बरखेड़ा, शासकीय उमावि बागसेवनिया, संजय गांधी शासकीय माध्यमिक शाला के अलावा बरखेड़ा पठानी स्थित शासकीय हाईस्कूल, माचना कालोनी स्थित राजीव गांधी शासकीय हाईस्कूल सहित कई अन्य स्कूलों में ब्लैक बोर्ड भी सही हालत में नहीं है। स्मार्ट क्लास तो इन स्कूलों में है ही नहीं।
प्रदेश में स्कूल शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, बावजूद इसके अभी भी हजारों स्कूल बुनियादी सुविधाओं से दूर हैं। हालात यह हैं कि कई स्कूलों में बिजली, पानी और शौचालयों तक की व्यवस्था नहीं है।
स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों में ब्लैक बोर्ड सुधारने की जिम्मेदारी प्राचार्यों की है। मूलभूत सुविधाओं के लिए उन्हें शाला निधि दी जाती है। प्राचार्यों का कहना है कि जनसहयोग से वे स्कूलों को स्मार्ट बना रहे हैं। भोपाल जिले के 500 सरकारी स्कूलों में बिजली की व्यवस्था नहीं है। वहीं 133 हाई व हायर सेकेंडरी स्कूलों में से सिर्फ 16 स्कूलों में स्मार्ट क्लास तैयार किए गए हैं। वह भी सिर्फ नाम के हैं, क्योंकि इसके जरिए पढ़ाई नहीं कराई जाती है।