सोनू सिंह ने वर्ष 2019 में सुल्तानपुर से बसपा के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था. हालांकि करीब छह माह बाद ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोनू सिंह और उनके भाई मोनू सिंह को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था.
यूपी तक’ की मानें तो पिछले चुनाव में बीएसपी की टिकट पर सोनू ने मेनका गांधी को कड़ी टक्कर दी थी. इस चुनाव में मेनका 14,526 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहीं थीं.
सोनू के सपा में शामिल होने से जातीय समीकरण अखिलेश के पक्ष में जाता दिख रहा है. क्योंकि सपा ने यहां से निषाद समुदाय के उम्मीदवार को टिकट दिया है.
पूर्व विधायक चंद्र भद्र सिंह सपा के लिए नए नहीं हैं. वो तीन बार के पूर्व विधायक हैं. सपा में आने से पहले वो बसपा में थे, लेकिन बसपा में उनकी एंट्री सपा से हुई थी.
राजपूत वोटों के साथ ही निषाद समुदाय का वोट सपा को मिल सकता है और इससे मेनका गांधी को नुकसान हो सकता है.
माना जा रहा है कि इससे सपा प्रत्याशी को मदद मिलेगी. बता दें कि सोनू सिंह के खिलाफ वर्ष 1995 से 2022 तक सुल्तानपुर में 30 मुकदमे दर्ज रहे हैं.
अखिलेश यादव ने कहा कि चन्द्र भद्र सिंह के सपा में शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी.
चन्द्रभद्र सिंह इसौली से विधायक रह चुके हैं. इनके पिता इन्द्रभद्र सिंह भी विधायक रहे हैं. चंद्रभद्र सिंह सोनू 2019 में सुल्तानपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं