अब जमीन मिलने के बाद ही टेण्डर जारी होंगे, पीडब्लूडी मंत्री अरूण साव ने जारी किए नए दिशा-निर्देश

बिगुल
रायपुर. लोक निर्माण विभाग के कार्यों में तेजी लाने और उन्हें समय पर पूर्ण करने राज्य शासन द्वारा निविदा को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
अब सड़क और सेतु निर्माण के लिए निविदा के पहले संबंधित कार्यपालन अभियंता को प्रमाणित करना होगा कि कार्य के लिए 90 प्रतिशत बाधारहित भूमि उपलब्ध है. भवन निर्माण के लिए पूरी जमीन व्यवधानरहित होने पर ही निविदा आमंत्रित की जा सकेगी.
उप मुख्यमंत्री तथा लोक निर्माण मंत्री अरुण साव द्वारा विभागीय कार्यों में तेजी और कसावट लाने के निर्देश के बाद राज्य शासन ने प्रमुख अभियंता सहित सभी मुख्य अभियंताओं, अधीक्षण अभियंताओं और कार्यपालन अभियंताओं को इस संबंध में परिपत्र जारी किया गया है. विभाग ने नए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है. इनका समुचित पालन नहीं करने पर संबंधित अधिकारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी.
लोक निर्माण विभाग द्वारा मंत्रालय से प्रमुख अभियंता से लेकर सभी कार्यपालन अभियंताओं को जारी परिपत्र में निर्देशित किया गया है कि निविदा आमंत्रण के पूर्व कार्यपालन अभियंता को यह प्रमाणित करना होगा कि सड़़क निर्माण के लिए सड़़क की प्रस्तावित कुल लंबाई की 90 प्रतिशत लंबाई व्यवधानरहित है. साथ ही 90 प्रतिशत लंबाई में सभी प्रकार की बाधाएं जैसे भूअर्जन, वन भूमि व्यपवर्तन एवं यूटिलिटी शिफ्टिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया गया है तथा शेष 10 प्रतिशत भूमि बाधारहित करने की कार्यवाही 180 दिनों में पूर्ण कर ली जाएगी. विभाग ने भवन निर्माण के लिए 100 प्रतिशत व्यवधानरहित भूमि उपलब्ध होने के बाद ही निविदा आमंत्रण की कार्यवाही के निर्देश दिए हैं.
परिपत्र में कहा गया है कि सेतु कार्यों के पहुंच मार्ग के लिए 90 प्रतिशत लंबाई बाधारहित होने पर ही निविदा आमंत्रण की कार्यवाही की जाए. निविदा आमंत्रण के पूर्व कार्यपालन अभियंता को यह प्रमाणित करना होगा कि पुल निर्माण हेतु पुल के पहुंच मार्ग के लिए प्रस्तावित कुल लंबाई की 90 प्रतिशत लंबाई व्यवधानरहित है. साथ ही 90 प्रतिशत लंबाई में सभी प्रकार की बाधाएं जैसे भूअर्जन, वन भूमि व्यपवर्तन एवं यूटिलिटी शिफ्टिंग का कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा शेष 10 प्रतिशत भूमि बाधारहित करने की कार्यवाही 180 दिनों में में पूर्ण कर ली जाएगी. विशेष प्रकरणों में शासन द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा.



