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नक्सली : पुनर्वास नीति बदलने की तैयारी, आत्मसमर्पण करने वाले को मिल सकती है सुरक्षा, प्रदेश में सुझाव ले रही सरकार, नक्सलियों की करतूत उजागर कर रहे ग्रामीण

बिगुल

रायपुर. छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का सफाया एक ऐसा सपना है, जिसे पूरा करने के लिए सरकारे साम-दाम-दंड-भेद हर रणनीति अपना चुकी है। नक्सलियों की चौतरफा घेराबंदी से इसे काबू करने में मदद भी मिली है। हालांकि ये भी सच है कि नक्सली गाहे-बगाहे अपनी मौजूदगी दर्ज कराते रहे हैं।

ऐसे में छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने एक और दांव खेला है। आत्मसमर्पित नक्सलियों की पुनर्वास नीति के लिए आम लोगों से सुझाव मांगे हैं। जिस पर लोग खुलकर सलाह भी दे रहे हैं। हालांकि इस पर सियासत भी खूब हो रही है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। सुरक्षा बलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से नक्सली बैकफुट पर हैं। आत्मसमर्पण के लिए उन पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। कई बड़े नक्सली सरेंडर कर चुके हैं।

हालांकि एक बड़ी संख्या ऐसे नक्सलियों की भी है जो इसके लिए तैयार नहीं है। अच्छी पुनर्वास नीति की कमी को इसकी वजह माना जा रहा है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए आम लोगों से नक्सलियों की पुनर्वास नीति पर सुझाव मांगे हैं। लोग सुझाव तो दे रही रहे हैं। लेकिन साथ ही नक्सलियों की करतूतें भी उजागर कर रहे हैं। जिसके मुताबिक नक्सली ग्रामीणों का राशन और मुर्गा-बकरा लूटकर ले जा रहे हैं। नक्सली शिक्षकों के वेतन को लूटने से बाज नहीं आ रहे। डिप्टी सीएम साव इसे लेकर गंभीर हैं। दूसरी ओर पूर्व मंत्री शिव डहरिया तंज कस रहे हैं कि भाजपा के राज में नक्सली गतिविधियां बढ़ जाती है।

छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा साफ है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को इनाम और जो इसके लिए तैयार नहीं हैं उनके खिलाफ सुरक्षा बलों को खुली छूट। हालांकि सरकार ये बात भी अच्छी तरह समझती है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। नक्सल समस्या का बेहतर पुनर्वास नीति के जरिए समाधान निकालना विष्णुदेव सरकार की प्राथमिकता है।

आत्मसमर्पितों को निवास के लिए मनचाहे शहर या गांव का विकल्प

छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार नक्सल पुनर्वास नीति में बदलाव करने जा रही है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार आत्मसमर्पितों को निवास के लिए मनचाहे शहर या गांव का विकल्प दिया जाएगा। मकान ऐसा होगा जिसमें उनका पूरा परिवार एक साथ रह सके। रोजगार के लिए कौशल विकास की योजनाएं चलाई जाएंगी तथा आत्मसमर्पित नक्सली को सुरक्षा भी दी जा सकती है.

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