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बड़ी खबर : सात हजार किसान नहीं बेच पाए अपनी उपज, किसान अभी भी टोकन के लिए समितियों का चक्कर लगा रहे

धान खरीदी के अंतिम समय में अपनी उपज बेचने को लेकर किसानों में अफरा-तफरी की स्थिति निर्मित हो गई है. बड़ी संख्या में किसान दो बार अपना धान बेच चुके हैं और तीसरी बार अपनी उपज बेचने टोकन के लिए समितियों का चक्कर लगा रहे हैं. वहीं अब तक एक दाना धान नहीं बेचने वाले किसानों को अंतिम समय में अपनी उपज बेचने का ख्याल आया है. अंतिम समय किसानों में धान बेचने के लिए आई जागरूकता से समिति के कर्मचारी भी हैरान हैं.

अब अवैध धान खपाना संभव नहीं

किसानों की मिलीभगत के बिना अब अवैध धान खपाना संभव नहीं है, इसलिए प्रशासनिक कमजोरी समझने के बाद क्षेत्र के किसान भी इसका फायदा उठाने से नहीं चूके. अधिकांश समितियों में धान खरीदी पूरी हो चुकी है. वहीं बड़ी समितियों में अभी भी टोकन के लिए किसानों की लाइन लगी है. सहकारी समिति कल्याणपुर, लटोरी और प्रतापपुर में अंतिम दिन तक की खरीदी के लिए टोकन फुल होने के बावजूद टोकन के लिए सौ से अधिक किसान चक्कर लगा रहे है. समिति की तरफ से ऐसे किसानों की सूची बनाकर खाद्य विभाग से खरीदी क्षमता बढ़ाने की मांग की गई है.

सरगुजा में 7 हजार किसान वंचित

पिछले वर्षों की तुलना में इस बार अधिक किसानों ने धान बेचने के लिए अपना पंजीयन कराया है. पिछले साल एकीकृत सरगुजा के सभी पांच जिलों में 1 लाख 85 हजार 976 किसानों ने अपना पंजीयन कराया था, जो इस साल बढ़कर 2 लाख 7 हजार 243 पहुंच गई है. अब तक सरगुजा के पंजीकृत 7 हजार, बलरामपुर के 6 हजार 633 और सूरजपुर 1 हजार 619 किसान अपनी उपज नहीं बेच पार हैं. कम रकबा होने के कारण प्राय हर साल पंजीयन कराने वाले 7-8 फीसदी किसान अपनी उपज नहीं बेचते हैं. इस बार सूरजपुर के किसानों ने यह रिकार्ड ध्वस्त कर दिया है.

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