ब्रेकिंग : धान खरीदी बंद होने से नाराज किसानों ने किया चक्काजाम, अपनी मांगो को लेकर राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन
बिगुल
पखांजूर. बांदे लैम्प्स के अंतर्गत सभी धान खरीदी केन्द्र पिछले 9 दिनों से बंद है जिससे किसान भारी परेशान है। किसान अपने धान लेकर घर में बैठे हैं, कम समय बचा हुआ है और खरीदी अगर बंद रही तो पूर्ण रूप से खरीदी कर पाना संभव नहीं।
खरीदी बंद होने से किसानों के माथे में भारी चिंता सता रही है। बांदे क्षेत्र में 10 धान खरीदी केन्द्र जहां जगह की कमी के चलते 9 दिनों से खरीदी बंद है। लगातार परिवहन की मांग के बाद भी अब तक धान का उठाव नहीं हो पाया जिसके चलते खरीदी पूर्ण रूप से ठप पड़ा हुआ है।
इधर खरीदी बंद होने से आज कांग्रेसियों ने 2 घंटे तक खरीदी केन्द्र तथा स्टेट हाइवे को बंद किया जिससे आवगमन बाधित रहा। कांग्रेसियों का एक दिवसीय धरना तथा चककजाम किया और आगामी कल तक खरीदी सुचारू रूप से चालू करने की मांग को लेकर राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया है।
राज्य में अब तक 35 से 30 प्रतिशत किसान अपना धान बेच नहीं पाए हैं। धान खरीदी की अंतिम तारीख 31 जनवरी निर्धारित है। इसे देखते हुए किसानों को अपने धान की चिंता सताने लगी है। सोसाइटियों में किसानों का धान खरीदने के लिए ऑनलाइन प्रणाली से टोकन दिया जा रहा है, लेकिन टोकन की सूची इतनी लंबी है कि कई किसानों का धान बेचने का नंबर आने में ही 15 से 20 दिन लग जा रहा है।
वहीं कई किसानों को तो टोकन तक नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण ऐसे किसानों की चिंता और बढ़ी हुई है, जिनका धान घर के खुले आंगन या खेतों में पड़ा हुआ है। यह स्थिति राज्य के कई जिलों में बनी हुई है, जहां किसानों को टोकन कटने के बाद धान बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ रहा है।
तीन की जगह अब चार टोकन मिल रहे किसानों को
धान खरीदी को लेकर जारी दिशा-निर्देश के अनुसार सोसाइटियों में अब तक प्रत्येक किसान को अपना पूरा धान बेचने के लिए तीन टोकन लेने पड़ रहे थे, लेकिन मौसम के कारण इस बार धान की कटाई में देर हुई, जिसके कारण नवंबर में बहुत कम धान की खरीदी हो पाई थी। दिसंबर में धान की कटाई होते ही किसानों की सोसाइटियों में भीड़ टूट पड़ी।
हालांकि सोसाइटियों में एक दिन में धान खरीदी का रेसो निर्धारित है। इसके कारण टोकन कटाने के बाद भी किसान अपना धान बेच नहीं पा रहे हैं। किसानों की दिक्कत को देखते हुए शासन ने टोकन में वृद्धि भी कर दी है। तीन की जगह किसान अब चार टोकन ले सकते हैं, लेकिन सिर्फ टोकन बढ़ाने से किसानों की चिंता में कमी नहीं आई है। उनकी चिंता का मुख्य कारण खरीदी का निर्धारित समय है, जो बहुत कम बचा है।