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सड़क न होने से युवक-युवतियों का नहीं हो रहा रिश्ता, गांव वालों ने लगाए सड़क नहीं तो वोट नहीं के बोर्ड

बिगुल
कवर्धा. साहब! पांच साल की छुट्टी के बाद नेताजी गांव लौट रहे हैं. लेकिन गांव पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है. दरअसल कबीरधाम जिले के पावली गांव में सड़क नहीं होने की वजह से गांव के युवक और युवतियों का रिश्ता नहीं हो रहा है.

कोई भी परिवार अपने बेटी या बेटे का रिश्ता नहीं हो रहा है. रिश्ता होता भी है तो टूट जाता है. बुजुर्ग माता-पिता को बच्चों की शादी की चिंता सता रही है. अब उन्होंने इसके लिए प्रार्थना छोड़ विरोध का रास्ता अपना लिया.

आजादी के 76 साल बाद भी गांव में पक्की सड़क नहीं बन पाई है. जिस वजह से गांव के लड़के-लड़कियों का रिश्ता होने से पहले टूट जाता है. आसपास के गांवों समेत बाहर के जिलों से भी लोग इस गांव के साथ रिश्ता नहीं जोड़ना चाहते हैं. आजादी के अमृतमहोत्सव के लिए बड़ी बड़ी बातें करने वाली सरकार से लेकर प्रदेश की दूसरी सरकारों ने इतने सालों में यहां सड़क नहीं बनवाई.

आवागमन में गांव वालों को हर साल होती है परेशानी

कबीरधाम के पावली गांव में आवागमन के लिए कोई सड़क माध्यम नहीं है. हर लोकसभा चुनाव में ग्रामीण नेताओं से आस लगाते थे लिकन कई आश्वासन मिले पर सड़क नहीं मिली. यहां लोग कच्चे रास्ते से गांव में आना जाना करते हैं. जबकि गांव जिला मुख्यालय से केवल 30 किलोमीटर दूर है. यहां पर 500 सौ से अधिक मतदाता है.

गांव वालों ने लगाए सड़क नहीं तो वोट नहीं के बोर्ड

गांव वालों ने अब जनप्रतिनिधियों से उम्मीद छोड़ दी है. ग्रामीणों ने गांव में फ्लैक्स लगा दिए है. जिसपर लिखा है. रोड नहीं तो वोट नहीं, इस गांव में वोट मांगने के लिए आना प्रतिबंधित है. गांव वालों का कहना है कि हरबार नेता आते हैं. आश्वासन देते हैं लेकिन जीतने के बाद पीछे पलट कर भी नहीं देखते. इस कारण पावली गांव विकास की बाट जोह रहा है. ग्रामीण अपनी समस्या जिला कलेक्टर के सामने भी रख चुके हैं. अब उन्होंने चुनाव में बहिष्कार करने की धमकी दी है.

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