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छत्तीसगढ़ के 20 जिलों में फोल्डस्कोप का उपयोग, मिट्टी की गुणवत्ता और बीमारियों का लगा रहे पता, ऐसी है तकनीक

बिगुल
छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी को और भी बेहतर और समृद्ध बनाने के लिये हर दिन नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं। किसानों को हाइटेक कृषि उपकरणों के उपयोग और वैज्ञानिक पद्धति को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में एक नई तकनीक भी सामने आई है। जिसे फोल्डस्कोप कहते हैं। प्रदेश के किसान अब फोल्डस्कोप तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

यहां पर जानिये क्या है फोल्डस्कोप तकनीक…

छत्तीसगढ़ में फसलों के कीट प्रकोप प्रबंधन और उन्नत नस्ल के पशुपालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किसानों को फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश के 20 जिलों के फोल्डस्कोप तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। किसानों को ‘फोल्डस्कोप’ नामक पोर्टेबल माइक्रोस्कोप भी बांटा गया है, जिसका उद्देश्य किसानों को खेती और पशुपालन में वैज्ञानिक तकनीकों से सशक्त और मजबूत बनाना है।

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में लागू
राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान की सहयोग से रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बलौदाबाजार-भाटापारा, रायपुर, धमतरी, दुर्ग, राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, कोरिया, सरगुजा, जशपुर, कोरबा, सक्ती, महासमुंद, बिलासपुर, मुंगेली, कबीरधाम, बेमेतरा, कांकेर और बस्तर जिलों के 30 से ज्यादा गांवों में इसे लागू किया गया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी खेती किसानी पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की धुरी भी कृषि है। छत्तीसगढ़ को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को हरसंभव मदद दे रही है।

बीमरियों का पता लगाने में कारगर
किसान गोलोविनोमाइसेस सिचोर-एसेरम और एरीसिफे पॉलीगोनी जैसे रोगजनकों का पता लगा सकते हैं। फोल्डस्कोप केवल खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे पशुपालन में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए वीर्य की गुणवत्ता का आकलन करने में इसका प्रयोग किया गया है। इससे गर्भधारण दर में सुधार हुआ है और देशी मवेशियों की नस्लों की ग्रेडिंग बेहतर हो रही है। फोल्डस्कोप का उपयोग पांच जैविक कीटनाशकों और दो जैव एजेंटों का परीक्षण करने के लिए भी किया गया है। इससे रसायनों पर निर्भरता घटाने और पर्यावरण-अनुकूल खेती को बढ़ावा देने में मदद मिल रही है। फोल्डस्कोप को बनाने का विचार तब आया जब प्रोफेसर मनु प्रकाश ने खेतों का दौरा किया और पाया कि वैज्ञानिक उपकरणों की अनुपलब्धता किसानों के लिए एक बड़ी बाधा है। उन्होंने एक ऐसा उपकरण विकसित किया जो सस्ता, टिकाऊ और ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग के लिए आदर्श हो। फोल्डस्कोप ने छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए कृषि और पशुपालन को सरल और वैज्ञानिक बना दिया है। यह उपकरण न केवल खेती में लागत कम कर रहा है बल्कि फसल और मवेशियों की गुणवत्ता में सुधार कर उनकी आय बढ़ाने में कारगर साबित हो रहा है।

यहां जानें, क्या है फोल्डस्कोप तकनीक?
फोल्डस्कोप एक किफायती और पोर्टेबल माइक्रोस्कोप है, जिसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक प्रोफेसर मनु प्रकाश और उनकी टीम ने विकसित किया है। इसे 2014 में लॉन्च किया गया था और तब से इसका उपयोग शिक्षा, शोध और निदान के लिए किया जा रहा है। यह उपकरण खेती और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में बेहद उपयोगी और किफायती है। फोल्डस्कोप का उपयोग किसान कीट और रोग का पता लगाने, मिट्टी की गुणवत्ता की जांच और पानी के विश्लेषण के लिए कर रहे हैं। इसकी मदद से फसलों में पाउडरी फफूंदी, पत्ती झुलसा, पत्ती धब्बा और कटाई के बाद होने वाली बीमारियों की पहचान की जा रही है। अब तक फोल्डस्कोप की मदद से 16 प्रकार के फफूंद रोगों और उनके कारक जीवों की पहचान हो चुकी है।

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