हाईकोर्ट का फैसला, सिविल जज की परीक्षा में बार काउंसिल में नामांकन या एनरोलमेंट न होने पर भी ले सकते हैं भाग

बिगुल
बिलासपुर हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सिविल जज की परीक्षा में वह उम्मीदवार भी भाग ले सकते हैं जिनका बार काउंसिल में नामांकन या एनरोलमेंट नहीं है। कोर्ट ने साफ शब्दों में आदेशित किया है कि सिविल जज की परीक्षा के लिए किसी भी विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ही अनिवार्य होगी। इसके साथ ही इन सिविल जज की परीक्षाओं में सरकारी नौकरी में रहते हुए भी भाग लिया जा सकता है। हाईकोर्ट ने इसके साथ ही सीजीपीएससी को सिविल जज की परीक्षा के आवेदन की अंतिम तिथि को 24 जनवरी 2025 से एक महीने तक के लिए आगे बढ़ने का आदेश दिया है।
बता दें कि जबलपुर निवासी विनीता यादव ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की है। दायर याचिका में कहा गया है कि सीजीपीएससी ने 23 दिसंबर 2024 को सिविल जज परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है परीक्षा में आवेदन करने की की अंतिम तिथि 24 जनवरी 2025 रखी गई है। सीजीपीएससी की ओर से इसमें एक शर्त रखी गई है जिसमें कहा गया है कि किसी भी विश्वविद्यालय से ला की डिग्री के साथ ही आवेदन करने वाले उम्मीदवारों का बार काउंसिल में नामांकन जरूरी है और वह वकील के तौर पर प्रैक्टिस भी कर रहे हो। इस शर्त को विनीता यादव ने चुनौती दी थी इसमें कहा गया कि वह सरकारी नौकरी में है। उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से ला की डिग्री ली हुई है। क्योंकि वह सरकारी नौकरी में है इसलिए वकालत के तौर पर उनका नामांकन बार काउंसिल में नहीं हो सका है। बार काउंसिल की अनिवार्य पात्रता होने के कारण वह इस सिविल जज की परीक्षा से वंचित हो रही है।
अपनी याचिका में उन्होंने इस शर्त को हटाने और आवेदन किए जाने की छूट की मांग की थी। याचिका में कहा गया कि इस तरह की शर्त किसी भी और दूसरे राज्यों में नहीं है। यहां तक की हरियाणा, राजस्थान,उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली में भी इस तरह की कोई शर्त नहीं है और वहां सिविल जज की परीक्षा के लिए अनिवार्य पात्रता या अहर्ता सिर्फ किसी भी विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री होना ही है। हालांकि मध्य प्रदेश में इसे आवश्यक नहीं बल्कि ऑप्शनल के तौर पर जरूर रखा गया है। याचिका के बाद हाईकोर्ट ने मामले में सीजीपीएससी, राज्य के विधि विधाई विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। शासन की ओर से इस शर्त को अनिवार्य बताते हुए अपना पक्ष रखा गया।
दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डीबी ने मामले में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। हाई कोर्ट ने बार काउंसिल में सरकारी नौकरी वालों को नामांकन में छूट प्रदान करने का फैसला दिया है। डीबी ने अपने फैसले में कहा है कि इस तरह की शर्त की कोई जरूरत नहीं है। सिविल जज की परीक्षा में शामिल होने के लिए ला की डिग्री होना ही पर्याप्त है। कोर्ट ने अपने फैसले में याचिका करता विनीता यादव को आवेदन करने की छूट दी है और इस संबंध में सीजीपीएससी को भी आदेशित किया है । हाईकोर्ट ने सीजीपीएससी को कहा है कि इस भर्ती के लिए आवेदन की तिथि को 24 जनवरी 2025 से 1 महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए। यह फैसला उन अभ्यर्थियों पर भी लागू होगा जिन्होंने याचिका दायर नहीं की है और जो की सरकारी नौकरी में है।