श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ 20 जून को गुड़िचा मंदिर पहुंचेंगे भगवान श्रीजगन्नाथ
बिगुल
जगदलपुर. बस्तर गोंचा महापर्व में 20 जून को श्रीगोंचा रथयात्रा पूजा विधान के साथ भगवान श्रीजगन्नाथ, माता सुभद्रा एवं बलभद्र स्वामी के विग्रहों को रथारूढ़ कर रथ परिक्रमा मार्ग से होते हुए गुड़िचा मंदिर सिरहासार भवन में स्थापित किया जाएगा।
बस्तर गोंचा पर्व में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व माता सुभद्रा श्रीमंदिर से विश्व भ्रमण के लिए निकलने पर उनके सम्मान में तुपकी की सलामी देने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ के रथारूण होने पर तुपकी चलाने की एक अनूठी परंपरा दृष्टिगोचर होती है, जो कि बस्तर गोंचा पर्व का मुख्य आकर्षण है। तुपकी चलाने की परंपरा बस्तर को छोड़कर पूरे विश्व में अन्यत्र कहीं भी नहीं होती। दीवाली के पटाखे की तरह तुपकी की गोलियों से सारा शहर गूंज उठता है।
यह बंदूक रूपी तुपकी पोले बांस की नली से बनायी जाती है, जिसे बस्तर के ग्रामीण तैयार करते हैं। इस तुपकी को तैयार करने के लिए, ग्रामीण गोंचा पर्व के पहले ही जुट जाते हैं तथा तरह-तरह की तुपकियों का निर्माण अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर करते हैं।