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जश्न-ए-बाब में साहित्य के कई रंग खिले…किताबों का विमोचन, अफ़सांचे, बातें और मुलाकातें

बिगुल
दौर बदल रहा है… मिजाज बदल रहा और शौक भी बदल रहे हैं…! बदलाव ने लंबी अवधि की मूवी का आकार छोटा कर दिया… क्रिकेट के स्वरूप को ट्वेंटी ट्वेंटी और सीमित ओवर तक समेट दिया…! साहित्य भी इस बदलाव से अछूता कैसे रखता…! लंबी तहरीरें, नॉवेल और मोटे ग्रंथों की जगह अफ़सांचे(लघु कथाओं) ने ले लिया…! इसी जरूरत और इसकी अहमियत को देखते और समझते हुए आकार लिया बज़्म ए अफसांचा ने। चार बरस के इस सफर में कई बड़े आयोजनों की दहलीज सजा चुके इसी बज्म ए अफसांचा ने अपने सालाना कार्यक्रम की महफिल सजाई। जिसमें कई रंग सजाए गए।

बज्म ए अफसांचा का सालाना कार्यक्रम राजधानी भोपाल में हुआ। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मप्र उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर डॉ अली अब्बास उम्मीद ने की। मशहूर साहित्यकार इकबाल मसूद इस कार्यक्रम के मेहमान ए खास थे। कार्यक्रम की रूपरेखा बज्म ए अफसांचा के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद आजम ने बताई। संचालन की जिम्मेदारी बद्र वास्ती ने पूरी की।

हुआ किताबों का विमोचन
बज़्म-ए-अफ़सांचा भोपाल के इस आयोजन में डॉ मोहम्मद आज़म की खोजपरक किताब “शायराना तअल्ली” का विमोचन हुआ। इस दौरान नफीसा सुल्ताना अना की तीन किताबों का विमोचन भी किया गया। इनमें “सिरात” (सफ़र नामे “तुम्हारे नाम ” (मजमूआ नज़म और “दश्त-ए-ग़म” (नावल) शामिल हैं।

इन्हें मिला खास एजाज
पिछले दिनों मशहूर-ओ-मारूफ़ शायर और नस्र निगार ज़िया फ़ारूक़ी साहब का इंतक़ाल हो गया था। उन की याद में बज़्म ने इस साल से “ज़िया फ़ारूक़ी ऐवार्ड” देने का फ़ैसला किया है। पहले अवार्ड से मप्र उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी को नवाजा गया।

सम्मान इन्हें भी मिला
इस दौरान अखबारों के जरिए साहित्य सेवा कर रहे मीडियाकर्मियों को भी एजाज से नवाजा गया। इनमें पत्रकार खान आशु, रिजवान शानू, जाहिद मीर, सलमान खान, शाहिद समर, सलमान गनी आदि शामिल थे।

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