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खुलासा : पुराना कांग्रेस भवन छेरछेरा में मिले दान की राशि से बना था ? छेरछेरा महापर्व की धूम, लोकगीत गाकर घर-घर छेरछेरा मांग रहे लोग

सुबह से ही लोकगीतों का वाचन करते घर-घर छेरछेरा मांगने जा रहे हैं. छेरछेरा का पर्व दान पुण्य के भाव को लोगों के मन में जागृत करता है. लोग स्वेच्छानुसार धान और धन का दान देते हैं. आज सुबह से ही गांव में छेरछेरा मांगने छोटे बच्चों की टोली घर-घर पहुंच रही है और छेरछेरा मांग रहे हैं. मेरे घर छेरछेरा लेने आये छोटे बच्चों को नगद पैसे (रूपये) देकर मेरी पत्नी श्रीमती सरिता सोनी ने उनका सम्मान किया. छत्तीसगढ़ के हमारे तीज-त्यौहार संस्कृति सचमुच हमें बहुत खुशियां देती है।

छत्तीसगढ़ का लोकपर्व छेरछेरा दान देने और लेने का पर्व है। कृषिप्रधान संस्कृति में यह दानशीलता की परंपरा को भी बनाये रखता है । ऐसी मान्यता है कि इस दिन अन्न् का दान देने से घरों में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। ऐसा कहा जाता है कि रायपुर के गांधी मैदान में कांग्रेस भवन की जो पुरानी बिल्डिंग थी वह छेरछेरा में मिले दान की राशि से बनायी गयी थी। इसकी जानकारी यहां वर्षों तक लगे एक बोर्ड पर भी लिखा हुआ था।

यहां मिलने वाली है मुफ्त में सब्जी
बता दें कि, किसान अपने खलिहानों के धान काटकर जब घरों में लाते हैं और मिजाई खुटाई करने के बाद सभी धान मिजाई का काम पूरा कराने के बाद पौष महीने की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष छत्तीसगढ का पारंपरिक तिहार छेरछेरा का पर्व मनाया जाता है. इसमें सभी वर्ग के लोग चाहे छोटे हो या बडे़ सभी एक दूसरे के घर जाकर अन्न या धन का दान लेते हैं और देते हैं. सभी के घरों में आज के दीन मिठे पकवान और छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाए जाते हैं और एक-दूसरे को परोसा जाता है.

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