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ये वो बीजेपी नेता जिनपर पीएम मोदी का बेहद भरोसा, चुनाव हार के बाद भी बनाया मंत्रीमण्डल का राजनेता…

These are the BJP leaders on whom PM Modi has immense trust, made him a minister even after losing the elections…

एक ऐसा ही सरप्राइज एलिमेंट रविवार को सामने आए मोदी सरकार की कैबिनेट की तस्वीर में नजर आया। पीएम मोदी और BJP ने मोदी 3.0 सरकार में कई चेहरे आश्चर्यजनक तौर पर अपनी जगह बनाते दिखे। उनमें दो ऐसे चेहरों को भी जगह मिली, जो लोकसभा चुनाव हार गए हैं। सबसे हैरतअंगेज रहे नामों में पंजाब के लुधियाना से ‌BJP उम्मीदवार रवनीत सिंह बिट्टू और तमिलनाडु के नीलगिरी के उम्मीदवार एल. मुरुगन माने जा रहे हैं।

कांग्रेस छोड़कर आए बिट्टू को मिला मंत्री पद
पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते रवनीत सिंह बिट्टू ने चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस छोड़कर BJP का दामन थामा था। वह लुधियाना से कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग से हारे। माना जा रहा है कि BJP ने भावी राजनीति को ध्यान में रखते हुए हारने के बावजूद पंजाब में एक जट सिख चेहरे पर दांव लगाया है। किसान राजनीति और पंजाब में बिट्टू BJP के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। वहीं मोदी सरकार में राज्यमंत्री रहे एल. मुरुगन DMK के ए. राजा से हारे थे। तमिलनाडु में BJP अपने मिशन साउथ को ध्यान में रखते हुए पूर्व अध्यक्ष को फिर से मौका देकर दक्षिणी राज्य में एक संदेश देना चाहती है।

हैरान करने वाले अन्य नामों में बिहार से आने वाले सतीश दुबे, झारखंड से संजय सेठ और अन्नपूर्णा देवी, यूपी से कमलेश पासवान, आंध्र प्रदेश से श्रीनिवास वर्मा, छत्तीसगढ़ से तोखन साहू, केरल से सुरेश गोपी, दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा, राजस्थान से भगीरथ चौधरी और मध्य प्रदेश की सावित्री ठाकुर के नाम लिए जा सकते हैं।

बिहार में BJP ने एक ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश दुबे को आगे किया है। राज्यसभा से आने वाले दुबे प्रदेश में नई पीढ़ी के नेता माने जाते हैं। झारखंड से संजय सेठ और अन्नपूर्णा देवी को मौका मिला है। सेठ मूलत: यूपी से हैं, वह इससे पहले SP से राज्यसभा सांसद रहे हैं। रांची से BJP से जीते सेठ को पार्टी ने इनाम दिया है, जबकि अन्नपूर्णा देवी बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रही हैं। उन्हें महिला कोटे से जगह मिलना माना जा रहा है। यूपी से कमलेश पासवान का नाम भी अचानक सामने आया, जो चार बार के सांसद हैं। वह बीजेपी का जुझारू चेहरा माने जाते हैं। आंध्र की नरसापुर सीट से जीते श्रीनिवास वर्मा बीजेपी के बूथ स्तर के कार्यकर्ता से उठते हुए यहां तक पहुंचे। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से पहली बार सांसद बने तोखन साहु पहली जीत के बाद सीधे सरकार में शामिल हुए।

पंचायत प्रतिनिधि से मंत्रिमंडल में पहुंचने का सफर खासा रोचक है। फिल्मों बतौर चाइल्ड एक्टर अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले गोपी सुरेश ने केरल में अपने पैर रखने की जगह तलाश रही बीजेपी का खाता खोला, वह त्रिशूर सीट से जीते हैं। इनमें ईस्ट दिल्ली से जीते हर्ष मल्होत्रा नाम भी चौंकाता है। अगले साल दिल्ली में होने वाले विधानसभा सीट के मद्देनजर बीजेपी ने अपने एक साफसुथरी छवि वाले नेता को मौका दिया है। राजस्थान के अजमेर से जीते भगीरथ चाैधरी को सरकार में जगह देकर पार्टी ने जाट समुदाय को साधने की कोशिश की है। जबकि मध्यप्रदेश के धार से आने वाली सावित्री ठाकुर एक ट्राइबल चेहरा हैं, जो एक खेतिहर समुदाय से आती हैं।

मंत्रिमंडल की औसत उम्र 59 साल
मोदी सरकार 3.0 की औसत उम्र 59 साल है। पिछली बार यह औसत उम्र 61 साल थी, हालांकि 2021 में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में यह घटकर 58 साल रह गई थी। इस बार सबसे उम्रदराज मंत्रियों में 79 साल के जीतनराम मांझी हैं तो वहीं सबसे कमउम्र के टीडीपी के 36 वर्षीय के राममोहन नायडू और बीजेपी की 37 वर्षीया रक्षा खड़से हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को मिलाकर उनकी सरकार में लगभग एक दर्जन चेहरे 70 साल या उससे ज्यादा के हैं।

मोदी सरकार में इस बार युवा और महिलाओं का एक संतुलन दिखा। हालांकि महिलाओं को ज्यादा भागीदारी नहीं मिली पाई। उनमें तकरीबन 15 चेहरे 50 साल या उससे कमउम्र के हैं। युवा चेहरों में के राममोहन नायडू, रवनीत सिंह बिट्टू, साबित्री ठाकुर, शांतनु ठाकुर, एल. मुरुगन, कमलेश पासवान, रक्षा खड़से, सतीश दुबे, राजभूषण चौधरी निषाद, जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, चंद्रशेखर पेम्मासामी, चिराग पासवान, मनसुख मांडविया शामिल हैं। उनमें से अधिकांश चेहरे जमीन से जुड़े और अपने मेहनत व संघर्ष से यहां तक पहुंचे हैं। सरकार में करीब छह महिलाएं जगह बना सकीं, जो कुल मंत्रियों का 10 फीसदी भी नहीं हैं। उनमें से निर्मला सीतारमण, शोभा करंदलाजे, अनुप्रिया पटेल को फिर मौका मिला है। पहली बार सरकार में मंत्री बनने वालों में तीन बार की सांसद रक्षा खड़से, सावित्री ठाकुर और अन्नपूर्णा देवी प्रमुख हैं।

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